7 जून से डीयू की अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएँ शुरू, एसओएल छात्रों को अभी तक नहीं मिला स्टडी मटेरियल।

क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ़ ओपन लर्निंग (एसओएल) के छात्रों के प्रति डीयू प्रशासन के उदासीन रवैये की कड़ी आलोचना करता है।
ज्ञात हो कि डीयू ने विभिन्न स्नातक और परास्नात्त्क कोर्सों की डेट शीट जारी कर दी है।
प्रशासन द्वारा जारी नोटिफ़िकेशन के अनुसार पिछले वर्ष की ही तरह इस वर्ष भी प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छत्रों को असाइमेंट बेस्ड एक्जामिनेशन (एबीई) के आधार पर आगे प्रोमोट किया जाएगा तथा अंतिम वर्ष के छात्रों को ओपन बुक एक्जामिनेशन (ओबीई) के माध्यम से अपनी परीक्षाएँ देनी होंगी।
परीक्षाएँ 7 जून से शुरू होंगी| परंतु यह आश्चर्य की बात है कि परीक्षाओं मे महज 10 दिन ही बाकी रहने के बावजूद भी अभी तक एसओएल छात्रों को स्टडी मटेरियल भी नहीं दिया गया है।
एसओएल की वेबसाइट पर दिया गया स्टडी मटेरियल अधूरा है, और प्रिंटेड मटेरियल तो छात्रों को दिया भी नहीं गया है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ कोरोना महामारी के कारण एसओएल छात्रों को बिना अध्ययन सामग्री के परीक्षा देने को मजबूर किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि डीयू ने विभिन्न स्नातक और परास्नात्त्क कोर्सों की डेट शीट जारी कर दी है।
प्रशासन द्वारा जारी नोटिफ़िकेशन के अनुसार पिछले वर्ष की ही तरह इस वर्ष भी प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छत्रों को असाइमेंट बेस्ड एक्जामिनेशन (एबीई) के आधार पर आगे प्रोमोट किया जाएगा तथा अंतिम वर्ष के छात्रों को ओपन बुक एक्जामिनेशन (ओबीई) के माध्यम से अपनी परीक्षाएँ देनी होंगी।
परीक्षाएँ 7 जून से शुरू होंगी| परंतु यह आश्चर्य की बात है कि परीक्षाओं मे महज 10 दिन ही बाकी रहने के बावजूद भी अभी तक एसओएल छात्रों को स्टडी मटेरियल भी नहीं दिया गया है।
एसओएल की वेबसाइट पर दिया गया स्टडी मटेरियल अधूरा है, और प्रिंटेड मटेरियल तो छात्रों को दिया भी नहीं गया है।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ कोरोना महामारी के कारण एसओएल छात्रों को बिना अध्ययन सामग्री के परीक्षा देने को मजबूर किया जा रहा है।
बल्कि, एसओएल छात्र पिछले कई सालो से अध्ययन सामग्री समय से न दिये जाने या परीक्षा के कुछ दिन पहले उपलब्ध कराए जाने जैसी समस्याओ के संबंध मे प्रशासन से शिकायत करते रहे हैं।
ज़्यादातर समय छात्रों को पूरी किताबें नहीं दी जाती है और उन्हे बाहर से किताबें खरीदने को कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त अभी तक छात्रों को पर्याप्त ऑनलाइन कक्षाएँ तक नहीं दी गयी है| ऐसे मे छात्रों के बीच में परीक्षा को लेकर भय का माहौल बना हुआ है।
ज्ञात हो कि पिछले साल एवं इस साल किये गए अनेक सर्वेक्षणों के अनुसार अधिकतर छात्र बिना पर्याप्त तैयारी के परीक्षा देने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि इससे उनके परीक्षा के परिणाम पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
सर्वेक्षण में पाई गयी अनेक समस्याओं में किताबों, अध्ययन सामग्री व पढाई के अन्य संसाधनों का उपलब्ध न होना, उचित तरह से कक्षाएं न लगना तथा अधिकत्तर छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा का न होना बड़ी समस्याएँ है।
इसके अतिरिक्त, कई सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि कैसे ऑनलाइन पढाई न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि यह व्यवस्था संसाधनों के अभाव के कारण पहले से हाशिये पर मौजूद विद्यार्थियों को औपचारिक शिक्षा से भी दूर ढकेलने में जुटी हुई है।
ऐसे समय में ऑनलाइन परीक्षा करवाना छात्र विरोधी निर्णय सिद्ध होगा| ऐसे समय में जब देश में असंख्य परिवार न केवल अपने घर के सदस्यों को खो देने के दुःख से झूझ रहे हैं बल्कि आजीविका कमा पाने के लिए भी संघर्षरत हैं, ऑनलाइन परीक्षा के आयोजन को महामारी के संक्रमण की रोकथाम से अधिक प्राथमिकता देना, देश के हालात और बुरे करने की ओर कदम बढ़ाना होगा।
केवाईएस सभी आगामी परीक्षाओं को रद्द करने और सभी प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को प्रमोट करने की मांग करता है।
ज़्यादातर समय छात्रों को पूरी किताबें नहीं दी जाती है और उन्हे बाहर से किताबें खरीदने को कहा जाता है।
इसके अतिरिक्त अभी तक छात्रों को पर्याप्त ऑनलाइन कक्षाएँ तक नहीं दी गयी है| ऐसे मे छात्रों के बीच में परीक्षा को लेकर भय का माहौल बना हुआ है।
ज्ञात हो कि पिछले साल एवं इस साल किये गए अनेक सर्वेक्षणों के अनुसार अधिकतर छात्र बिना पर्याप्त तैयारी के परीक्षा देने के पक्ष में नहीं हैं क्योंकि इससे उनके परीक्षा के परिणाम पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
सर्वेक्षण में पाई गयी अनेक समस्याओं में किताबों, अध्ययन सामग्री व पढाई के अन्य संसाधनों का उपलब्ध न होना, उचित तरह से कक्षाएं न लगना तथा अधिकत्तर छात्रों के पास इंटरनेट की सुविधा का न होना बड़ी समस्याएँ है।
इसके अतिरिक्त, कई सर्वेक्षण में यह भी पाया गया है कि कैसे ऑनलाइन पढाई न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि यह व्यवस्था संसाधनों के अभाव के कारण पहले से हाशिये पर मौजूद विद्यार्थियों को औपचारिक शिक्षा से भी दूर ढकेलने में जुटी हुई है।
ऐसे समय में ऑनलाइन परीक्षा करवाना छात्र विरोधी निर्णय सिद्ध होगा| ऐसे समय में जब देश में असंख्य परिवार न केवल अपने घर के सदस्यों को खो देने के दुःख से झूझ रहे हैं बल्कि आजीविका कमा पाने के लिए भी संघर्षरत हैं, ऑनलाइन परीक्षा के आयोजन को महामारी के संक्रमण की रोकथाम से अधिक प्राथमिकता देना, देश के हालात और बुरे करने की ओर कदम बढ़ाना होगा।
केवाईएस सभी आगामी परीक्षाओं को रद्द करने और सभी प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को प्रमोट करने की मांग करता है।
तृतीय वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं उन्हें स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराकर और तैयारी के लिए उपयुक्त समय देने के बाद, असाइनमेंट बेस्ड इवेल्यूएशन (एबीई) प्रणाली में कराई जाए।
अगर एसओएल प्रशासन समय से स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराने में विफल होता है तो छात्रों को परीक्षाओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
केवाईएस आने वाले समय में पिछड़े और हाशियाई तबकों से आने वाले छात्रों के प्रति डीयू की उदासीनता के खिलाफ आंदोलन तेज़ करने का प्रण लेता है।