अस्पतालों, प्राथमिक उपचार केंद्रों, योग्य डॉक्टरों और नर्सों की सख्या बढ़ाने की मांग करता है केवाईएस

प्रधानमंत्री के सम्पूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारे बिना कुछ कोविड फ्रंटलाइन वर्कर्स को कुशल बनाने के फैसले की क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) करता है कड़ी निंदा। दिल्ली सरकार द्वारा 5000 स्वास्थ्य सहायकों को नियुक्त करने के फैसले की भी करता है भर्त्सना। ऐसे फैसले आम मेहनतकश जनता के हितों के विपरीत हैं केवाईएस का कहना है।



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केवाईएस केंद्र सरकार के कोविड-19 फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए 'कस्टमाइज्ड क्रैश कोर्स' कराने जैसे फैसले की कड़ी निंदा करता है। कथित तौर पर इसका लक्ष्य है कि नॉन मेडिकल स्वास्थ्य कर्मियों को तैयार किया जाए जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यबल की जरूरतों को पूरा किया जा सके। इस प्रोग्राम का बजट 276 करोड़ ₹ है। साथ ही, केवाईएस दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर की तथाकथित तैयारियों के लिए 5000 हेल्थ असिस्टेंट (स्वास्थ्य सहायक) नियुक्त करने के फैसले की भी निंदा करता है। ये फैसले केवल प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से लिए गए हैं और इनमें केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की आम जनता की समस्याओं के प्रति उदासीनता साफ जाहिर होती है। यह ज्ञात हो कि मौजूदा स्वास्थ्य संकट से इन सरकारों के ऊंचे दावों पर सवाल उठने लगे हैं। आम जनता को मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होना पड़ा है। सरकारों द्वारा तैयारी के अभाव में ऐसी बदहाली थी कि लगभग सब अस्पतालों को कोविड के अलावा अन्य सभी मरीजों के लिए बंद करने के बावजूद, मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं में अस्पताल बेड, योग्य स्वास्थ्य कर्मचारियों, डॉक्टरों और नर्सों इत्यादि की भारी कमी उजागर हुई। जब आम मेहनतकश जनता इस संकट से जूझ रही थी, तब अभिजात वर्ग में अमीरों और मंत्रियों को आसानी से बड़े निजी अस्पतालों में इलाज और दवा की सुविधा मिल रही थी।

जनता द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों की ऐसी निंदा की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री और दिल्ली सरकार ने अपनी छवि सुधारने के लिए ये घोषणाएं करी हैं। हालांकि, अयोग्य कर्मचारियों को चंद दिनों की ट्रेनिंग के आधार पर नियुक्त करने का फैसला जनहित के विरूद्ध है, और मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी मानकों का उल्लंघन करता है। इस संकट से सीख लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था को पूर्ण रूप से बदलने और डॉक्टरों, नर्सों की नई बहाली करने के बजाए सरकारों ने आम जन की स्वास्थ्य समस्याओं को ऐसी फर्जी योजनाओं के भरोसे छोड़ दिया है। व्यापक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए ऐसे अपर्याप्त और समस्यापूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, परंतु जब मंत्रियों और उनके परिवारों की स्वास्थ्य समस्याओं की बात आती है तो वे हमेशा निजी अस्पतालों की बेहतर सुविधाएं ही चुनते हैं।

केवाईएस केंद्र और दिल्ली सरकार के ऐसे भ्रामक फैसलों की कड़ी निंदा करता है। क्रांतिकारी युवा संगठन मांग करता है कि बड़े, निजी अस्पतालों का सरकार अधिग्रहण करे और सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 10% स्वास्थ्य क्षेत्र में लगाए जिससे पूरी व्यवस्था में अस्पतालों, प्राथमिक उपचार केंद्रों, योग्य डॉक्टरों और नर्सों इत्यादि की कमी को पूरा किया जा सके। ऐसे समय में ऐसे ठोस कदम लेने की जरूरत है, न की चंद दिनों में कराए क्रैश कोर्स की, जिसके कारण आम जन की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें पूरी न हों और उनकी खराब स्थिति बनी रहे।

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