प्रधानमंत्री के सम्पूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारे बिना कुछ कोविड फ्रंटलाइन वर्कर्स को कुशल बनाने के फैसले की क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) करता है कड़ी निंदा। दिल्ली सरकार द्वारा 5000 स्वास्थ्य सहायकों को नियुक्त करने के फैसले की भी करता है भर्त्सना। ऐसे फैसले आम मेहनतकश जनता के हितों के विपरीत हैं केवाईएस का कहना है।

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जनता द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों की ऐसी निंदा की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री और दिल्ली सरकार ने अपनी छवि सुधारने के लिए ये घोषणाएं करी हैं। हालांकि, अयोग्य कर्मचारियों को चंद दिनों की ट्रेनिंग के आधार पर नियुक्त करने का फैसला जनहित के विरूद्ध है, और मौजूदा स्वास्थ्य संबंधी मानकों का उल्लंघन करता है। इस संकट से सीख लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था को पूर्ण रूप से बदलने और डॉक्टरों, नर्सों की नई बहाली करने के बजाए सरकारों ने आम जन की स्वास्थ्य समस्याओं को ऐसी फर्जी योजनाओं के भरोसे छोड़ दिया है। व्यापक स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए ऐसे अपर्याप्त और समस्यापूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, परंतु जब मंत्रियों और उनके परिवारों की स्वास्थ्य समस्याओं की बात आती है तो वे हमेशा निजी अस्पतालों की बेहतर सुविधाएं ही चुनते हैं।
केवाईएस केंद्र और दिल्ली सरकार के ऐसे भ्रामक फैसलों की कड़ी निंदा करता है। क्रांतिकारी युवा संगठन मांग करता है कि बड़े, निजी अस्पतालों का सरकार अधिग्रहण करे और सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 10% स्वास्थ्य क्षेत्र में लगाए जिससे पूरी व्यवस्था में अस्पतालों, प्राथमिक उपचार केंद्रों, योग्य डॉक्टरों और नर्सों इत्यादि की कमी को पूरा किया जा सके। ऐसे समय में ऐसे ठोस कदम लेने की जरूरत है, न की चंद दिनों में कराए क्रैश कोर्स की, जिसके कारण आम जन की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें पूरी न हों और उनकी खराब स्थिति बनी रहे।