संगठनों ने आंतरिक मूल्यांकन को ABE पद्धति पर कराने की मांग की

 संगठनों ने आंतरिक मूल्यांकन को असाइनमेंट बेस्ड इवैल्यूएशन (एबीई) पद्धति पर कराने की मांग की।




क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने अन्य संगठनों जिसमें एसएफ़आई, पिंजरातोड़, कलेक्टिव एवं डीएसयू मौजूद थे, उनके साथ मिलकर आज दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को कई पोस्ट-ग्रेजुएट विभागों में आंतरिक मूल्यांकन के संबंध में ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञात हो कि कई विभाग आंतरिक मूल्यांकन संबंधी दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं जिसका एक मुख्य उदाहरण राजनीति विज्ञान विभाग है। आंतरिक मूल्यांकन को ओपन बुक एग्जामिनेशन (ओबीई) प्रणाली में करने के फैसले से छात्रों में चिंता की स्थिति बन गई है। ज्ञापन के माध्यम से संगठनों ने मांग की है कि आंतरिक मूल्यांकन के मुद्दे को संवेदनशीलता से देखा जाए, खासकर मौजूदा स्थिति में जब छात्रों के एक बड़े हिस्से को जीवन और जीविका के साधनों का संकट झेलना पड़ रहा है।

ओबीई कराने का फैसला साफ तौर पर डीयू के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है। डीयू के डीन, एग्जामिनेशन द्वारा अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रेजुएट हेतु 19.02.2021 को दिया गया नोटिस उल्लेख करता है कि 31.10.2020 के नोटिस के अनुसार आंतरिक मूल्यांकन रखा जाएगा। इस नोटिस में साफ है कि कोविड-19 के कारण आंतरिक मूल्यांकन के तीन भागों - क्लास टेस्ट, ट्यूटोरियल टेस्ट और अटेंडेंस में से केवल एक भाग, इंटरनल असाइनमेंट, को ही करवाया जाएगा।

साथ ही, यह भी ज्ञात हो कि इस साल अकादमिक सेमेस्टर लगभग आधी-अवधि के हो चुके हैं, जबकि छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के लिए पूरा और व्यापक कोर्स पढ़ना है। यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के भी विरुद्ध है, जहाँ छात्र-केन्द्रित शिक्षा पद्धति को प्रोत्साहित करने की बात की गयी है। और-तो-और, आंतरिक मूल्यांकन और सेमेस्टर-अंत परीक्षा में कोई फर्क ही नहीं है, जिसके कारण छात्रों को फिजूल परेशानी उठानी पड़ रही है।

केवाईएस मांग करता है कि कुलपति और डीयू प्रशासन इस मामले को पूरी संवेदनशीलता के साथ देखें, और यह सुनिश्चित करें कि आंतरिक परीक्षा असाइनमेंट आधारित पद्धति के अनुसार हों।

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