ज्ञात हो कि एक प्रमुख अखबार में आई खबर के अनुसार विभिन्न नगर निगमों में कोविड-19 से मृतक हुए कर्मियों में आधे सफाई कर्मचारी हैं।
दहला देने वाला यह तथ्य इंगित करता है कि सरकारी और निजी क्षेत्रों में कोरोना महामारी से सबसे अधिक त्रस्त सफाई कर्मी ही रहे हैं।
इससे यह भी साबित हो रहा है कि सबसे अधिक खतरे में रहने के बावजूद भी सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा, प्रशासनिक अधिकारियों की चिंता का शायद ही विषय रहा है।
मौजूदा तथ्य केवल नगर निगम और दिल्ली सरकार के तहत आने वाले संस्थानों की ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों, केंद्र सरकार व निजी संस्थानों की भी तस्वीर बयान करते हैं।
सफाई कर्मियों की सुरक्षा में अनदेखी के पीछे समाज में व्यापक रूप से व्याप्त जातिवादी मानसिकता और वर्गीय भेदभाव हैं।
सफाई कर्मियों की सुरक्षा में अनदेखी के पीछे समाज में व्यापक रूप से व्याप्त जातिवादी मानसिकता और वर्गीय भेदभाव हैं।
बहुसंख्यक सफाई कर्मी दलित समुदाय से आते हैं और बेहद खराब हालातों में काम करने और रहने के लिए मजबूर हैं।
इन आर्थिक व सामाजिक अक्षमताओं के चलते ही वे सरकार व अधिकारियों की उदासीनता का शिकार होते हैं।
इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों में सफाई कर्मचारियों की कान्ट्रैक्ट आधारित नियुक्ति उनके लिए और भी मुश्किलें खड़ी करती हैं।
अधिकतर सरकारी व निजी संस्थानों द्वारा ठेके पर नियुक्त किए गए सफाई कर्मियों को जरूरत अनुसार न तो मास्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं और न ही सैनिटाइज़र दिया जाता है।
कोविड-19 की जांच करवाने में अनदेखी, जबरन काम पर बुलाया जाना बेहद आम है, जबकि जान का खतरा सभी को समान रूप से है।
यहाँ दिल्ली सरकार के तहत आने वाले अंबेडकर विश्वविद्यालय के उदाहरण पर ध्यान देने की जरूरत है, जहाँ विश्वविद्यालय अधिकारियों, दिल्ली के श्रम मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री को तमाम माध्यमों से सूचित करने के बावजूद, लगातार लापरवाही बनी हुई है।
इसी तरह के हालात दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की विभिन्न संस्थानों में भी देखने को मिल सकते हैं।
एसकेयू मांग करता है कि सभी सफाई कर्मचारियों के लिए स्थायी नौकरी के साथ महामारी भत्ता सुनिश्चित किया जाए।
एसकेयू मांग करता है कि सभी सफाई कर्मचारियों के लिए स्थायी नौकरी के साथ महामारी भत्ता सुनिश्चित किया जाए।
साथ ही, यदि कोई सफाई कामगार संक्रमित हों, तो उन्हें और उनके परिवारों को अनिवार्य रूप से इलाज मुहैया किया जाए।
इसके अतिरिक्त, उन सभी सफाई कर्मचारियों के परिवारों को 1 करोड़ मुआवज़ा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, जिनकी महामारी के दौरान मृत्यु हुई है, और टीकाकरण प्रक्रिया में सफाई कामगारों को प्राथमिकता दी जाए।
इसके साथ ही सफाई कामगार यूनियन ने राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग को इस सम्बन्ध में एक ज्ञापन सौंपा।