ऑनलाइन परीक्षा वंचित तबकों से आने वाले लाखों एसओएल छात्रों के प्रति भेदभावपूर्ण है: केवाईएस।

यह मास मेलिंग अभियान केवाईएस के परीक्षा रद्द करने के व्यापक अभियान का एक हिस्सा था, जिसमें हजारों एसओएल और रेगुलर मोड के छात्रों ने हिस्सादारी निभाई।
यह ज्ञात हो कि अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएँ 7 जून से शुरू होने वाली हैं।
यह ज्ञात हो कि अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएँ 7 जून से शुरू होने वाली हैं।
यह एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है जिससे देशव्यापी संकट से जूझते छात्रों के प्रति विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता उजागर होती है।
देश में स्वास्थ्य संकट के कारण बहुत चिंताजनक स्थिति है, कोविड के मामले बढ़ते जा रहे हैं और आम जनता मेडिकल सुविधाएं, हॉस्पिटल बेड, इलाज इत्यादि की कमी से जूझ रही है।
महामारी और स्वास्थ्य संकट के चलते लाखों लोगों में संक्रमण और रोज़ाना हजारों मौत के मामले सामने आ रहे हैं।
ऐसे में छात्रों का एक बड़ा हिस्सा या तो खुद बीमार है या बीमार घर वालों का ध्यान रखने में व्यस्त है, या किसी करीबी को खो चुका है।
इसके साथ ही कई राज्यों में लॉकडाउन है जिसके कारण असंख्य परिवारों ने अपनी आय के साधन खो दिए हैं।
ऐसी स्थिति में जब सीबीएसई की परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं, तब दिल्ली विश्वविद्यालय और तमाम अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में भी परीक्षाएं रद्द होनी चाहिए।
साथ ही, पिछले साल हुए कई सर्वे दर्शाते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा भेदभावपूर्ण है और पिछड़े हुए छात्रों को औपचारिक शिक्षा से बाहर धकेलती है।
साथ ही, पिछले साल हुए कई सर्वे दर्शाते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा भेदभावपूर्ण है और पिछड़े हुए छात्रों को औपचारिक शिक्षा से बाहर धकेलती है।
इसके साथ ही, आज देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन लगा हुआ है।
साथ ही, लॉकडाउन और आपदा के कारण छात्रों का एक बड़ा हिस्सा, खासकर मुक्त शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले करोड़ों छात्रों का हिस्सा बहुत ही परेशानी की स्थिति में है।
पिछड़े और वंचित तबकों से आने वाले यह छात्र केवल महामारी ही नहीं, जीवनयापन के भी संकट से गुजर रहे हैं।
ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा एक छात्र विरोधी कदम होगा।
जब अधिकतर परिवार परिवारजनों की मृत्यु और आजीविका के साधनों की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में परीक्षा लेने से ज्यादा जरूरी यह है कि इस संकट से उबरने के तरीके निकाले जाएं।
अभी परीक्षाएं रखवाने से छात्रों में अफरा-तफरी होगी और एक बड़ा हिस्सा परीक्षा देने से वंचित रहेगा।
इस संबंध में शिक्षा मंत्री और डीयू कुलपति को ईमेल करके छात्रों ने मांग की कि तत्काल रूप से डीयू में होने वाली परीक्षाओं से संबंधित सभी नोटिफिकेशन, डेट शीट, गाइडलाइन इत्यादि को रद्द किया जाए।
इस संबंध में शिक्षा मंत्री और डीयू कुलपति को ईमेल करके छात्रों ने मांग की कि तत्काल रूप से डीयू में होने वाली परीक्षाओं से संबंधित सभी नोटिफिकेशन, डेट शीट, गाइडलाइन इत्यादि को रद्द किया जाए।
विश्वविद्यालय को वैकल्पिक आधार अपना कर सभी स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों को प्रमोट करना चाहिए।
साथ ही, कोई भी अकादमिक और परीक्षा संबंधी फैसला शिक्षकों और छात्रों के साथ बातचीत के बिना न लिया जाए।