
बताना चाहेंगे कि मौजूदा श्रम कानून के प्रावधानों के तहत यह आवश्यक है कि नौकरी खत्म होने कि स्थिति में कर्मचारियों को इसकी सूचना कम-से-कम एक माह पूर्व दी जानी चाहिए थी, जो विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नहीं किया गया है। बिना पूर्व सूचना के नौकरी निकाले जाने के कारण कर्मचरियों में भारी डर की स्थिति उत्पन्न हो गयी है और जीवनयापन व रोजगार के प्रति गहरी चिंता पैदा हो गयी है। ध्यान देने कि बात है कि विश्वविद्यालय में कार्यरत कई सफाईकर्मी 15-16 साल से कार्यरत हैं और अधिकतर सफाईकर्मी ACME कंपनी का टेंडर लागू होने से पूर्व भी यहाँ कार्यरत थे। सफाई कर्मियों ने कोविड-19 महमारी में लगाए गए लॉकडाउन तथा इसके उपरांत महामारी की पहली व दूसरी लहर में भी रोजाना काम किया है। महामारी के इस दौर में कई कर्मियों से अपने परिवारजनों को खोया भी है तथा उनके ईलाज हेतु कर्जा भी लेने को मजबूर हुए है। यहाँ कार्यरत सफाई कर्मियों के लिए रोजगार का यही एकमात्र साधन है और महामारी के इस दौर में बिना पूर्व सूचना के नौकरी से निकाला जाना न केवल सफाईकर्मियों बल्कि उनके पूरे परिवार के लिए मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर देगा।
विश्वविद्यालय में सफाईकर्मियों को महामारी के इस कठिन समय में नौकरी से निकालना उनके लिए भारी प्रताड़ना के समान है। इस संबंध में एसकेयू ने टेंडर बदलने कि स्थिति में भी सभी कर्मचारियों की पुनः नियुक्ति सुनिश्चित की जाने की मांग की है।