ज्ञात हो कि निर्भया बलात्कार पीड़िता सहायता केंद्र के लिए केंद्र सरकार ने फण्ड निर्धारित किये हैं। इन केन्द्रों पर पीड़ितों का उपचार, काउन्सेलिंग और उनके बयान के अनुसार एफ़आईआर सुनिश्चित किए जाने का प्रावधान है। परन्तु, दिल्ली के अस्पतालों में सहायता केंद्र न होने कारण बलात्कार पीड़िता को अपने उपचार के लिए रात में अस्पताल दर अस्पताल भटकना पड़ा। ज़ाहिर है की दिल्ली सरकार के बलात्कार पीड़ितों को सहायता और महिलाओं की सुरक्षा के सारे दावे झूठे हैं।
इस तरह से एक पीड़िता को प्राथमिक उपचार के लिए भटकने को मजबूर करना समाज की असंवेदनशीलता साफ़ प्रदर्शित करता है। दिल्ली में दसों लाख गाड़ियाँ होने के बावजूद पीड़िता को एक भी गाड़ी नहीं मिल सकी जो उसे अस्पताल ले जा सके। यहाँ तक कि पीड़िता को दूसरे अस्पताल भेजने वाले डॉक्टर ने भी पीड़िता को अपनी गाड़ी नहीं मुहैया कराई। ज्ञात हो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, दिल्ली पुलिस कमिश्नर इत्यादि के काफिले के लिए सैकड़ों करोड़ खर्च किये जाते हैं, परन्तु एक बलात्कार पीड़िता को गाड़ी मुहैया न कराकर प्राथमिक उपचार में भी देरी की गयी। बलात्कार पीड़िता की इस हालत के लिए पूरा समाज ज़िम्मेदार है।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर को कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल द्वारा दिए गये ज्ञापन में रंजीत नगर थानाध्यक्ष को तुरंत बर्खास्त कर उसके खिलाफ सख्त कारवाई करने की मांग की गयी है। साथ ही, पीड़िता को प्राथमिक उपचार सुनिश्चित नहीं करने के लिए कलावती अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर पर एफ़आईआर करने की मांग की गयी। क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) और संघर्षशील महिला केन्द्र (सी.एस.डब्ल्यू.) ने मांगें 24 घंटे के भीतर नहीं माने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय पर अपना आंदोलन ले जाने का ऐलान किया है।