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जंतर मंतर पर विरोध कर रही महिलाएं.. |
ज्ञात हो कि 28 मई, रविवार को जहां एक तरफ नए संसद भवन की उद्घाटन समारोह आयोजित की गई थी तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह द्वारा यौन उत्पीड़न के खिलाफ महिला पहलवानों की कई महीनों से विरोध प्रदर्शन जारी थी, जिसे दिल्ली पुलिस द्वारा बलपूर्वक हिरासत में लेकर जंतर-मंतर से उन्हें और उनके विरोध स्थल को हटा दिया गया। प्रदर्शन में शामिल पहलवानों पर कई गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई। जिसके बाद देशभर के कई महिला संगठनों और किसानों में आक्रोश देखने को मिला।
संघर्षशील महिला केंद्र (सीएसडब्ल्यू) से डॉ माया जॉन ने कहा, "28 मई को लोकतंत्र के नए प्रतीक का जन्म होना था, लेकिन बाहर उसकी आत्मा को बर्बरतापूर्वक कुचला गया। इस घाव को भरने में एक बड़ा समय लगेगा। यौन शोषण आरोपी बृजभूषण का संसद के उद्घाटन में शामिल होना व उसी दौरान महिला पहलवानों को बर्बरतापूर्वक हिरासत में लिया जाना भाजपा सरकार के जनविरोधी और महिला-विरोधी चरित्र को बेनकाब करता है। यह दुःखद है कि सरकार की क्रूर उदासीनता से शर्मसार और आहत महिला पहलवानों को अपने पदक, जिससे उन्होंने देश को गौरवान्वित किया है, गंगा में प्रवाहित करने को मजबूर होना पड़ा है।"
सीएसडब्ल्यू ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध को लेकर दिल्ली हत्याकांड के दोषी को कानून के अनुसार कड़ी सजा सुनिश्चित करने, भाजपा सांसद को पोक्सो अधिनियम व अन्य क़ानूनों के तहत तुरंत गिरफ्तार करने और पहलवानों पर लगाए गए मुकदमों को वापस लेने की मांग की है।