बिहार: पटना के मलाही पकड़ी इलाके में मेट्रो रेल निर्माण के लिए जबरन बस्ती खाली कराने का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों पर मंगलवार को पुलिस ने अंधाधुंध लाठीचार्ज कर दिया, जिसके कारण 36 वर्षीय एक मजदूर राजेश ठाकुर की इलाज के दौरान एक निजी अस्पताल में मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल भी हुए हैं। यह हिंसक झड़प पुलिस द्वारा मेट्रो रेल के निर्माण के लिए, स्थानीय लोगों के मकान व झोपड़ियों का "अतिक्रमण हटाने" के मकसद से किया गया। इसके चलते इलाके के लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर, प्रशासन और पुलिस के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया। लोगों की मांग है कि राजेश के परिवार को उचित मुआवज़ा, घर के एक सदस्य को नौकरी, और अतिक्रमण के नाम पर हटाए गए लोगों को पुनर्वास, इत्यादि दिया जाए। ज्ञात हो कि बकौल पटना सदर एस. डी. ओ. नवीन कुमार ने अभी तक स्वर्गीय राजेश कुमार के परिवार को महज़ उसके पार्थिव शरीर का क्रियाकर्म करवाने के बीस हजार रुपए मुहैया करवाए हैं।
मलाही पकड़ी इलाके में जिस ज़मीन पर मेट्रो रेल का निर्माण होना है, वहां पर करीब 75 अस्थायी और स्थायी मकान और झोंपड़ियां बनी हुई थीं जिसमें करीब 100 परिवार रह कर अपनी गुज़र बसर कर रहे थे।
भारत में बेघरी का बड़ा संकट है जिसके कारण मेहनतकश जनता के एक बड़े हिस्से को खाली जमीनों पर जीवनयापन और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए बसना पड़ता है। भाजपा सरकार ने 2022 तक सबको अपना घर सुनिश्चित करने का बड़ा वादा किया था। न केवल उनके चुनावी वादे झूठे साबित हुए बल्कि गरीबों की बस्तियों को तोड़ने से भाजपा शासन का गरीब-विरोधी चरित्र साफ होता है। कॉरपोरेटों और पूंजीपतियों के हितों को बचाने के लिए सरकार सबसे पिछड़े वर्गों की बस्तियों पर आक्रमण करती है। असम दरांग जिले में हुई पुलिसिया हिंसा, हत्याएं और हरियाणा के खोरी गांव में लोगों की जबरन बेदखली भी हाल ही की वारदातें हैं।
केवाईएस से विवेक ने कहा, "संगठन मलाही पकड़ी के लोगों को उनके घरों से जबरन निकाले जाने, पुलिस हिंसा और राजेश कुमार की पुलिस द्वारा हत्या के खिलाफ वहां के लोगों के संघर्ष के साथ खड़ा है। केवाईएस मांग करता है कि इस नृशंस हत्या के लिए ज़िम्मेदार सभी पुलिस अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए और कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए, और मृतक के परिवार को उपयुक्त मुआवजा जल्द से जल्द दिलवाया जाए। अतिक्रमण के नाम पर बेदखल किए गए परिवारों को तुरंत पुनर्वास और नागरिक सुविधाएं दी जाएं। केवाईएस स्थानीय जनता के विरोध के साथ खड़ा है और घर के अधिकार और निर्मम पुलिस हिंसा के खिलाफ आंदोलन तेज करने का प्रण लेता है।"
मलाही पकड़ी इलाके में जिस ज़मीन पर मेट्रो रेल का निर्माण होना है, वहां पर करीब 75 अस्थायी और स्थायी मकान और झोंपड़ियां बनी हुई थीं जिसमें करीब 100 परिवार रह कर अपनी गुज़र बसर कर रहे थे।
भारत में बेघरी का बड़ा संकट है जिसके कारण मेहनतकश जनता के एक बड़े हिस्से को खाली जमीनों पर जीवनयापन और आजीविका सुनिश्चित करने के लिए बसना पड़ता है। भाजपा सरकार ने 2022 तक सबको अपना घर सुनिश्चित करने का बड़ा वादा किया था। न केवल उनके चुनावी वादे झूठे साबित हुए बल्कि गरीबों की बस्तियों को तोड़ने से भाजपा शासन का गरीब-विरोधी चरित्र साफ होता है। कॉरपोरेटों और पूंजीपतियों के हितों को बचाने के लिए सरकार सबसे पिछड़े वर्गों की बस्तियों पर आक्रमण करती है। असम दरांग जिले में हुई पुलिसिया हिंसा, हत्याएं और हरियाणा के खोरी गांव में लोगों की जबरन बेदखली भी हाल ही की वारदातें हैं।
केवाईएस से विवेक ने कहा, "संगठन मलाही पकड़ी के लोगों को उनके घरों से जबरन निकाले जाने, पुलिस हिंसा और राजेश कुमार की पुलिस द्वारा हत्या के खिलाफ वहां के लोगों के संघर्ष के साथ खड़ा है। केवाईएस मांग करता है कि इस नृशंस हत्या के लिए ज़िम्मेदार सभी पुलिस अधिकारियों को तुरंत निलंबित किया जाए और कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए, और मृतक के परिवार को उपयुक्त मुआवजा जल्द से जल्द दिलवाया जाए। अतिक्रमण के नाम पर बेदखल किए गए परिवारों को तुरंत पुनर्वास और नागरिक सुविधाएं दी जाएं। केवाईएस स्थानीय जनता के विरोध के साथ खड़ा है और घर के अधिकार और निर्मम पुलिस हिंसा के खिलाफ आंदोलन तेज करने का प्रण लेता है।"