JNU पीएचडी इंटरव्यू में छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ UGC पर विरोध प्रदर्शन

दिल्ली: जेएनयूएसयू ने 22 दिसंबर, बुधवार को जेएनयू पीएचडी इंटरव्यू में छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ यूजीसी पर संयुक्त विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। इस विरोध प्रदर्शन में क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस), आईसा, एसएफआई, और अन्य प्रगतिशील संगठन शामिल हुए। प्रदर्शन के माध्यम से, एनईपी के कार्यान्वयन द्वारा हाशिए व वंचित और पिछड़े समुदायों के छात्रों के व्यवस्थागत बहिष्कार करने के मुद्दों को उठाया गया। प्रदर्शन द्वारा केंद्रीय विश्वविद्यालयों के सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीयूसीईटी) के संबंध में चिंताओं पर भी प्रकाश डाला गया।


ज्ञात हो कि जेएनयू के पीएचडी इंटरव्यू में दोषपूर्ण आँकलन प्रणाली अपनाए जाने से छात्र समुदाय में हड़कंप मच गया है। प्रशासन द्वारा प्रवेश परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को भी पीएचडी इंटरव्यू में मात्र 1-3 अंक देकर जेएनयू प्रवेश की पूरी प्रक्रिया का मजाक बनाया जा रहा है। पूरे मामले में प्रशासन के पूर्वाग्रह तब उजागर हुए जब गरीब और वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को उद्देश्यपूर्ण तरीके से खराब अंक देने का तथ्य सामने आया। इसके उपरांत छात्र समुदाय ने अब्दुल नफे कमेटी की रिपोर्ट सुझावों के तहत जेएनयूईई में वाइवा वॉयस के अनुपात को कम करने की मांग उठाई। इस समिति ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए जिसमें वाइवा-वॉयस अंकों को वर्तमान 30 से घटाकर 15 अंक करने की सिफारिश का उल्लेख आवश्यक है।

साथ-ही विरोध के माध्यम से विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सीयूसीईटी द्वारा प्रवेश का भी मुद्दा उठाया गया। बता दें कि वर्तमान में कक्षा 12 के अंक-आधारित प्रवेश प्रणाली लागू है, जिसे CUCET के माध्यम से बदल दिया जाएगा, जिसका असर दिल्ली विश्वविद्यालय सहित कई अन्य विश्वविद्यालयों पर भी होगा। सीयूसीईटी के संबंध में यह ध्यान देना आवश्यक है कि जेईई और एनईईटी के समान केंद्रीकृत एमसीक्यू परीक्षा केवल कोचिंग संस्थानों को ही लाभ पहुंचाएगी। इस तरह की परीक्षाएं अंततः परीक्षा-पास करवाने वाले संस्थानों को बढ़ावा देंगी, जहां विषय ज्ञान के बजाय परीक्षा को पास करने की रणनीति सिखाई जाती है। इसके फलस्वरूप दाखिला प्रक्रिया निजी और अंग्रेजी माध्यम स्कूली छात्रों के पक्ष में होगा, तथा वंचित और हाशिए की पृष्ठभूमि के छात्र जो अधिकांशत् देश के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, उनका सरकारी विश्वविद्यालयों से पूर्ण बहिष्कार होगा। सीयूसीईटी परीक्षा के माध्यम से दाखिले का निर्णय, प्रगतिशील छात्र संगठन केवाईएस द्वारा लंबे समय से सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए डेप्रीवेशन पॉइंट्स का प्रावधान लागू करने की मांगों की पूर्ण अवहेलना है, जबकि वर्तमान दाखिला प्रणाली में ही यह छात्र, शिक्षा के अनौपचारिक मोड यानि दूरस्थ शिक्षा व ऑनलाइन कोर्स की ओर धकेले जा रहे हैं।

वहीं विरोध प्रदर्शन के माध्यम से केवाईएस ने जेएनयू पीएचडी प्रवेश में वाइवा वेटेज के अनुपात को तत्काल 30% से घटाकर 15% करने की मांग की। इसके अलावा, संगठन ने सरकारी स्कूलों के प्रवेश के इच्छुक छात्रों के लिए सभी श्रेणियों में कम से कम 10% डेप्रीवेशन पॉइंट्स का प्रावधान लागू करने की भी मांग उठाई। केवाईएस का मानना है कि एनईपी के बहाने से वर्तमान सरकार वंचित और गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों के अनौपचारिक शिक्षा में धकेल कर, शिक्षा से बहिष्कारण के एजेंडे को आगे बढ़ाने पर तुली हुई है, जिसका केवाईएस कड़ी निंदा करता है।

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