इस कार्यक्रम के आयोजन का साफ मकसद लोगों में सांप्रदायिकता फैलाने का था। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) से आदर्श ने कहा कि भाजपा सरकार चुनावी फायदों के लिए अक्सर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देती है। पहले के कई मामलों की तरह ही, इस मामले में भी अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है जबकि कार्यक्रम में दिए गए बयान बेहद उत्तेजक और खुलेआम सांप्रदायिक थे। इस तरह के सांप्रदायिक तत्वों को भाजपा सरकार द्वारा संरक्षण दिया जाता है जिससे लगातार अल्पसंख्यक समुदायों में डर की स्थिति बनी हुई है। अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के खिलाफ असंख्य मॉब लिंचिंग के वाकिए सामने आए हैं, जिसमें अधिकतर लोग मेहनतकश तबके से आते हैं।
संगठनों ने कार्यक्रम का आयोजन करने वाले सांप्रदायिक तत्वों की तुरंत गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग उठाई। संगठन ने ऐसा कार्यक्रम आयोजित होने से रोकने में नाकाम उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस्तीफे की भी मांग उठाई। देश में इस तरह की सांप्रदायिक ताकतों के बरक्स, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्लाह खान, सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की विरासत को याद करके उसके आधार पर सांप्रदायिक सौहार्द, समानता और सामाजिक न्याय पर आधारित समाज बनाने की जरूरत है।