मुस्लिम समुदाय के नरसंहार वाले बयान के खिलाफ उत्तराखंड सदन पर विरोध प्रदर्शन

दिल्ली: प्रगतिशील संगठनों के कार्यकर्ताओं ने 27 दिसंबर, सोमवार को हरिद्वार में तीन दिन के कार्यक्रम "धर्म संसद" में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नरसंहार के बयान के खिलाफ दिल्ली स्थित उत्तराखंड सदन पर विरोध प्रदर्शन में किया। बता दें कि उत्तराखंड सदन की सुरक्षा में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किये गए थे। यह ज्ञात हो कि इस कार्यक्रम में शामिल सांप्रदायिक तत्त्वों ने अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ "हथियार उठाने" का आह्वान किया। जिन सांप्रदायिक तत्वों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, वे पहले भी अल्पसंख्यक समुदायों और हाशियाई जातीय समुदायों के खिलाफ सांप्रदायिक और जातिवादी बयान देते रहे हैं।


इस कार्यक्रम के आयोजन का साफ मकसद लोगों में सांप्रदायिकता फैलाने का था। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) से आदर्श ने कहा कि भाजपा सरकार चुनावी फायदों के लिए अक्सर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देती है। पहले के कई मामलों की तरह ही, इस मामले में भी अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है जबकि कार्यक्रम में दिए गए बयान बेहद उत्तेजक और खुलेआम सांप्रदायिक थे। इस तरह के सांप्रदायिक तत्वों को भाजपा सरकार द्वारा संरक्षण दिया जाता है जिससे लगातार अल्पसंख्यक समुदायों में डर की स्थिति बनी हुई है। अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के खिलाफ असंख्य मॉब लिंचिंग के वाकिए सामने आए हैं, जिसमें अधिकतर लोग मेहनतकश तबके से आते हैं।

संगठनों ने कार्यक्रम का आयोजन करने वाले सांप्रदायिक तत्वों की तुरंत गिरफ्तारी और कड़ी सजा की मांग उठाई। संगठन ने ऐसा कार्यक्रम आयोजित होने से रोकने में नाकाम उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस्तीफे की भी मांग उठाई। देश में इस तरह की सांप्रदायिक ताकतों के बरक्स, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्लाह खान, सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख की विरासत को याद करके उसके आधार पर सांप्रदायिक सौहार्द, समानता और सामाजिक न्याय पर आधारित समाज बनाने की जरूरत है।

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