जींद: क्रांतिकारी युवा संगठन के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को 'जन-स्वास्थ्य अधिकार अभियान' के बैनर तले, सभी शिक्षण संस्थानों को खुलवाने के लिए नरवाना स्थित केएम कॉलेज गेट से एसडीएम ऑफिस तक आक्रोश रैली निकाली और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का पुतला फूंका। एसडीएम को विभिन्न मांगों के साथ राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा।
संगठन के सदस्य विक्रम ने बताया कि पिछले दो सालों से देश और दुनिया में कोरोना महामारी के चलते शिक्षण संस्थानों के बंद रहने के कारण शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट हो रही है। भारत देश में भी कोरोना महामारी के चलते सभी शिक्षण संस्थानों को सुचारु रूप से नहीं चलाया जा रहा है, और सिर्फ ऑनलाइन माध्यम से ही पढ़ाया जा रहा है। कोरोना के नाम पर जो पाबंदियां लगाई जा रही है उससे सबसे ज्यादा समस्या, गरीब मजदूर परिवारों से आने वाले छात्रों को हो रहा है। क्योंकि एक तरफ जहां अमीर परिवार से आए छात्रों के पास ऑनलाइन क्लासेज के लिए अच्छी सुविधाएं है, वहीं दूसरी तरफ गरीब मजदूर परिवार से आने वाले छात्रों के पास इन सुविधाओं का अभाव है। जिस कारण से उन्हें ऑनलाइन शिक्षा पद्धति द्वारा की जा रही पढ़ाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ सरकार कोरोना महामारी पाबंदियों के नाम पर सबसे पहले शिक्षण संस्थानों को बंद कर रही है, वहीं दूसरी तरफ सभी बाजार खुले हैं, चुनावी रैलियां हो रही हैं, मॉल खुले हैं, जैसे कि वहां पर करोना है ही नहीं है। सरकार का पाबंदियों में यह दोहरा चरित्र स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है जिसका सब से ज्यादा खामियाजा मेहनतकश आबादी भुगत रहा है।
विक्रम आगे कहते है, "हम मांग करते हैं कि सभी शिक्षण संस्थानों को जल्द से जल्द शुरू किया जाए ताकि गरीब, मजदूर परिवारों से आने वाले छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में बिछड़ना ना पड़े। सभी शिक्षण संस्थानों को सुरक्षा उपकरणों के साथ खोला जाए या शिफ्टों में क्लास शुरू की जाए। देश की जीडीपी का 10% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाए। देश के अमीर और बड़े उद्योगपतियों पर महामारी टैक्स लगाया जाए और उसे स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाए। देश में नए सरकारी अस्पतालों निर्माण किया जाए और रिक्त पदों पर योग्य डॉक्टरों की स्थाई भर्ती की जाए। सभी गांव और शहरों में मेडिकल कैंप लगाया जाए और लोगों की मेडिकल जांच कर उनकी बीमारियों का निःशुल्क इलाज किया जाए। सभी राशन की दुकानों पर सभी खाद्य सामग्री मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाए और कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए मजदूरों और युवकों को महामारी भत्ता मासिक आधार पर दिया जाए । सभी जन कल्याणकारी विभागों का निजीकरण बंद किया जाए और उनमें रिक्त पदों पर स्थाई भर्ती की जाए। "
वहीं संगठन के सदस्य अजय ने कहा, "हमारी मांगों पर जल्द से जल्द सकारात्मक कदम उठाया जाए नहीं तो छात्र और आमजन अपनी मांगों के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।" इस मौके पर संगठन के सदस्य अंकित, अजय, अक्षय, विक्रम, कुलदीप, राजेश, सलिंदर, विक्रम, आकाश, परवीन, ज्योति आदि मौजूद रहे।
संगठन के सदस्य विक्रम ने बताया कि पिछले दो सालों से देश और दुनिया में कोरोना महामारी के चलते शिक्षण संस्थानों के बंद रहने के कारण शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट हो रही है। भारत देश में भी कोरोना महामारी के चलते सभी शिक्षण संस्थानों को सुचारु रूप से नहीं चलाया जा रहा है, और सिर्फ ऑनलाइन माध्यम से ही पढ़ाया जा रहा है। कोरोना के नाम पर जो पाबंदियां लगाई जा रही है उससे सबसे ज्यादा समस्या, गरीब मजदूर परिवारों से आने वाले छात्रों को हो रहा है। क्योंकि एक तरफ जहां अमीर परिवार से आए छात्रों के पास ऑनलाइन क्लासेज के लिए अच्छी सुविधाएं है, वहीं दूसरी तरफ गरीब मजदूर परिवार से आने वाले छात्रों के पास इन सुविधाओं का अभाव है। जिस कारण से उन्हें ऑनलाइन शिक्षा पद्धति द्वारा की जा रही पढ़ाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ सरकार कोरोना महामारी पाबंदियों के नाम पर सबसे पहले शिक्षण संस्थानों को बंद कर रही है, वहीं दूसरी तरफ सभी बाजार खुले हैं, चुनावी रैलियां हो रही हैं, मॉल खुले हैं, जैसे कि वहां पर करोना है ही नहीं है। सरकार का पाबंदियों में यह दोहरा चरित्र स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है जिसका सब से ज्यादा खामियाजा मेहनतकश आबादी भुगत रहा है।
विक्रम आगे कहते है, "हम मांग करते हैं कि सभी शिक्षण संस्थानों को जल्द से जल्द शुरू किया जाए ताकि गरीब, मजदूर परिवारों से आने वाले छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में बिछड़ना ना पड़े। सभी शिक्षण संस्थानों को सुरक्षा उपकरणों के साथ खोला जाए या शिफ्टों में क्लास शुरू की जाए। देश की जीडीपी का 10% स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाए। देश के अमीर और बड़े उद्योगपतियों पर महामारी टैक्स लगाया जाए और उसे स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च किया जाए। देश में नए सरकारी अस्पतालों निर्माण किया जाए और रिक्त पदों पर योग्य डॉक्टरों की स्थाई भर्ती की जाए। सभी गांव और शहरों में मेडिकल कैंप लगाया जाए और लोगों की मेडिकल जांच कर उनकी बीमारियों का निःशुल्क इलाज किया जाए। सभी राशन की दुकानों पर सभी खाद्य सामग्री मुफ्त में उपलब्ध करवाई जाए और कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए मजदूरों और युवकों को महामारी भत्ता मासिक आधार पर दिया जाए । सभी जन कल्याणकारी विभागों का निजीकरण बंद किया जाए और उनमें रिक्त पदों पर स्थाई भर्ती की जाए। "
वहीं संगठन के सदस्य अजय ने कहा, "हमारी मांगों पर जल्द से जल्द सकारात्मक कदम उठाया जाए नहीं तो छात्र और आमजन अपनी मांगों के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।" इस मौके पर संगठन के सदस्य अंकित, अजय, अक्षय, विक्रम, कुलदीप, राजेश, सलिंदर, विक्रम, आकाश, परवीन, ज्योति आदि मौजूद रहे।