बिहार में 10वीं की टॉपर बनना चाहती है पत्रकार, रवीश कुमार है उनके आदर्श
0
शुक्रवार, अप्रैल 01, 2022
बिहार में मैट्रिक टॉपर एक लड़की है। इतना ही नहीं टॉप थ्री में रहने वाली तीनों लड़कियां ही हैं। दिलचस्प है कि पहली टॉपर और तीसरी टॉपर सहेलियां हैं।
बिहार बोर्ड के माध्यम से 10वीं की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या 16.11 लाख थी। इन तमाम छात्रों के बीच बिहार के औरंगाबाद ज़िले की रहने वाली रामायणी रॉय ने 500 में से 487 नंबर लाकर राज्य में टॉप किया है।
बीबीसी हिन्दी के अनुसार, रामायणी से पूछा गया कि क्या उन्हें इतने अच्छे परिणाम की उम्मीद थी तो उन्होंने कहा, "पढ़ाई और ट्यूशन के दौरान यह उम्मीद तो थी कि टॉप थ्री में आ जाएंगे, लेकिन टॉप करने पर खुशी तो है ही।
कोविड के दौरान पढ़ाई की चुनौतियां पर पूछे जाने पर रामायणी कहती हैं, "कोविड में दिक्कत तो रही ही लेकिन मां और दादी शिक्षक रही हैं और पिताजी वेटरनरी डॉक्टर हैं तो घर में शुरू से पढ़ाई-लिखाई का माहौल रहा है। छोटा भाई भी सैनिक स्कूल भुवनेश्वर (ओडिशा) का टॉपर है।"
जब बीबीसी ने रामायणी से भविष्य के सपने के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि वह पत्रकार बनना चाहती हैं और जो हो रहा है, उसके बजाय जो होना चाहिए उस पर ख़बर करना चाहती हैं। रवीश कुमार उनके पसंदीदा पत्रकार हैं।
रवीश कुमार को क्यों पसंद करती हैं? इस सवाल पर रामायणी ने कहा, "पहली बात तो ये कि रवीश बिहार के हैं और दूसरा उनका लहजा मुझे बहुत पसंद है।"
वो रवीश को टेलीविज़न और यूट्यूब पर देखती-सुनती हैं। उनसे काफी कुछ सीखती हैं।
राज्य के भीतर मैट्रिक की परीक्षा में दूसरे स्थान पर दो छात्र हैं। कुल 500 में से 486 नंबर लाकर सानिया कुमारी और विवेक कुमार ठाकुर साझा टॉपर हैं। सानिया बिहार के नवादा और विवेक मधुबनी ज़िले के रहने वाले हैं। उनके पिता नवादा ज़िले के रजौली बाज़ार में एक छोटी सी मिठाई की दुकान चलाते हैं। सानिया को अफसोस है कि वो महज़ एक नंबर से राज्य की टॉपर बनने से चूक गईं। उन्हें गणित में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। सानिया एमबीबीएस की पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहती हैं। उन्होंने बताया गणित उनका पसंदीदा विषय है।
गौरतलब है कि मैट्रिक में 487 नंबर के साथ अव्वल आने वाली रामायणी और 485 नंबर के साथ तीसरी टॉपर प्रज्ञा सहेलियां हैं। प्रज्ञा के पिता किसान हैं और मां एक गृहिणी हैं। दोनों सहेलियों ने कोरोना काल में स्कूलों के बंद होने की स्थिति में साथ पढ़ाई की और नोट्स का आदान-प्रदान किया। किसी भी दिक्कत में पड़ने पर एक-दूसरे की मदद की। चूंकि दोनों टॉपर लड़कियां एक ही कोचिंग संस्थान में पढ़ती थीं तो ऐसे में दोस्ती भी गाढ़ी होती गई, लेकिन इसके बावजूद दोनों सहेलियों के करियर की प्राथमिकताएं अलग हैं। रामायणी जहां पत्रकार बनने की चाहत रखती हैं। वहीं प्रज्ञा डॉक्टर बनकर आम जन की सेवा करना चाहती हैं।