आईजीडीटीयूडब्ल्यू में सफाई कर्मचारियों का “सविनय अवज्ञा आंदोलन” जारी

सफाई कर्मचारियों और उनके यूनियन ने लॉकडाउन के समय का पूरा वेतन दिये जाने की मांग की!

ईएसआई और प्रोविडेंट फ़ंड की भी सुविधा मुहैया कराने की मांग की!

इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर विमन (आई.जी.डी.टी.यू.डबल्यू.) में कार्यरत सफाई कर्मचारी जो कि सफाई कामगार यूनियन (एस.के.यू.) से सम्बद्ध हैंवो पिछले तीन दिनों से आंदोलन कर रहे हैं| अपने सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत वो वेतन न दिए जाने और ठेकेदार द्वारा किए जा रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं| ज्ञात हो कि सफाई कर्मचारियों के शोषण पर दिल्ली सरकार द्वारा चालित विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार चुप्पी साधे हुए है| यह कर्मचारी पिछले कई  सालों से  विश्वविद्यालय में काम कर रहे हैं| यूनिवर्सिटी में कार्यरत सफाई कर्मचारी वर्तमान में भारी आर्थिक तंगी का शिकार हैं क्योंकि कर्मचारियों को लगभग 3 महीने से (लॉकडाउन की पूरी अवधि का) उनका वेतन नहीं दिया गया है| मजबूरन सभी कर्मचारी 24 अगस्त से प्रशासन के सामने “सविनय अवज्ञा” (Civil Disobedienceपर बैठे हुए हैं| इनमें से कई कर्मचारियों को लॉकडाउन की सैलरी या तो दी ही नहीं गई है या आधी-अधूरी सैलरी सुपरवाइज़र द्वारा “बाई हैन्ड” दी गई हैजिसका कोई आधिकारिक रिकार्ड नहीं है| सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान सभी स्थाई और कान्ट्रैक्ट कर्मचारियों को पूरी सैलरी देने के सख्त आदेश के बावजूद यह सब हो रहा है|

साथ ही यह भी ज्ञात हो की ठेकेदार कंपनी के द्वारा सफाई कर्मचारियों  को दिल्ली सरकार द्वारा नियत न्यूनतम मजदूरी 14,842 भी नहीं दी जा रही है| कुछ कर्मचारियों को 11,200 रुपये और कुछ कर्मचारियों को 8000 से 10000 रूपये दिए जा रहे हैं| यही नहीं सफाई कर्मचारियों को ई.एस.आई जैसी मूलभूत स्वास्थ्य सुरक्षा सुविधा भी नहीं दी जा रही है| सफाई कर्मचारियों के शोषण का आलम यह है कि  कर्मचारियों से  मालढुलाई, शिफ्टिंग, विश्वविद्यालय की सफाई के बाद काम के लिए कहीं और भेज देना  जैसे काम जो सफाई के काम में नहीं आते उनसे जबरन करवाए जाते हैं| यही नहींकर्मचारियों को लॉकडाउन के समय विश्वविद्यालय आने के लिये मजबूर किया गयायह साफ दिखाता है कि किस तरह पूरा विश्वविद्यालय प्रशासन सफाई कामगारों का शोषण कर रहा है जो दलित और वंचित समुदाय से आते हैंइस तरह के तमाम शोषणों का लगातार जारी रहना विश्वविद्यालय प्रशासन और ठेकेदार कंपनी के गठजोड़ को दिखाता है|

ज्ञात हो कि आंदोलनरत सफाई कर्मचारियों ने अनेक बार विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने अपनी मांगे रखी लेकिन अभी तक उनका समाधान नहीं किया गया है| यही कारण हैं कि  मजबूरी में कर्मचारियों को आंदोलन करने को मजबूर होना पड़ा| कर्मचारियों की मांग है कि सभी कर्मचारियों को विश्वविद्यालय जो कि उनकी “प्रधान नियोक्ता” है द्वारा 3 महीने का बकाया वेतन जल्द से जल्द दिया जाए, सभी को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जाए और सभी कर्मचारियों की स्वास्थ्य सुरक्षा को देखते हुए ई.एस.आई. और प्रोविडेंट फंड की सुविधा तथा कोरोना को देखते हुए सभी कर्मचारियों को ग्लव्स, सैनिटाइज़र, मास्क इत्यादि मुहैया करवाई जाए| कर्मचारियों और उनके यूनियन ने अपना आंदोलन तब तक जारी रखने का निर्णय लिया है जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मान ली जाती हैं|

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !