दिल्ली विश्वविद्यालय की ऑनलाइन परीक्षाओं का दूसरा दिन रेगुलर व कॉरेस्पोंडेंस छात्रों के लिए एक बार फिर से परेशानी का सबब बना। जैसा की ज्ञात ही कि कल से दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष छात्रों की ऑनलाइन परीक्षाएं कल से शुरू हुई हैं। परीक्षाओं में छात्रों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा और उसपर प्रशासन द्वारा छात्रों की समस्याओं की अनदेखी और अनसुना करने से छात्रों में भारी अफरा-तफरी है।
बताना चाहेंगे कि ओपन बुक एग्जाम के पहले दिन सैकड़ों की संख्या में कॉरेस्पोंडेंस और रेगुलर कॉलेज के छात्रों ने अपनी समस्याएं विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों से क्रन्तिकारी युवा संगठन के कार्यकर्ताओं से साझा की। छात्र लगातार यह जानकारी दे रहे थे कि प्रशासन के अधिकारी उनकी कॉल या तो उठा ही नहीं रहे हैं या फिर आधी-अधूरी जानकारी दे रहे हैं। छात्रों के कहना है कि उनका OBE पोर्टल काम नहीं कर रहा है, और फ़ाइल अपलोड नहीं हो रही है। अंततः विश्वविद्यालय द्वारा दिये गए वैकल्पिक ईमेल पर भेजने पर भी मेल मिल जाने की पुष्टि की सूचना नहीं उपलब्ध की जा रही है। इससे छात्रों में भारी चिंता है।
कई विषयों में छात्रों का यह भी कहना है कि उनकी परीक्षा के प्रश्न पत्र में समय सीमा 2 घण्टे की दी गयी है, जबकि OBE के तहत परीक्षा पूर्ण करने का समय 4 घंटे है, इससे छात्रों में असमंजसता की स्थिति फैली है। छात्रों ने यह भी कहा है कि उनका प्रश्न पत्र केवल अंग्रेजी भाषा में दिया गया था और हिंदी में उपलब्ध नहीं करवाया गया है।
अधिकतर छात्रों ने स्थाई इंटरनेट की अनुपलब्धता के कारण हो रही दिक्कतों को इंगित किया। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई इंटरनेट सुविधा की अनुपलब्धता, देश के विभिन्न बाढ़ प्रभवित इलाकों से आने वाले छात्रों की समस्याओं और मजदूर परिवारों के छात्रों के लिए परीक्षा देने योग्य माहौल की कमी के कारण लगतार समस्या देखने को मिली। छात्र OBE पोर्टल से तो दूर, अपने ईमेल से भी प्रश्न पत्र देने में सक्षम नहीं हो रहे थे। इन सभी समस्याओं को देखते हुए केवाईएस तत्काल ठोस कदम उठाने और डीयू वाईस चांसलर की बर्खास्तगी की मांग करता है।
बताना चाहेंगे कि ओपन बुक एग्जाम के पहले दिन सैकड़ों की संख्या में कॉरेस्पोंडेंस और रेगुलर कॉलेज के छात्रों ने अपनी समस्याएं विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों से क्रन्तिकारी युवा संगठन के कार्यकर्ताओं से साझा की। छात्र लगातार यह जानकारी दे रहे थे कि प्रशासन के अधिकारी उनकी कॉल या तो उठा ही नहीं रहे हैं या फिर आधी-अधूरी जानकारी दे रहे हैं। छात्रों के कहना है कि उनका OBE पोर्टल काम नहीं कर रहा है, और फ़ाइल अपलोड नहीं हो रही है। अंततः विश्वविद्यालय द्वारा दिये गए वैकल्पिक ईमेल पर भेजने पर भी मेल मिल जाने की पुष्टि की सूचना नहीं उपलब्ध की जा रही है। इससे छात्रों में भारी चिंता है।
कई विषयों में छात्रों का यह भी कहना है कि उनकी परीक्षा के प्रश्न पत्र में समय सीमा 2 घण्टे की दी गयी है, जबकि OBE के तहत परीक्षा पूर्ण करने का समय 4 घंटे है, इससे छात्रों में असमंजसता की स्थिति फैली है। छात्रों ने यह भी कहा है कि उनका प्रश्न पत्र केवल अंग्रेजी भाषा में दिया गया था और हिंदी में उपलब्ध नहीं करवाया गया है।
अधिकतर छात्रों ने स्थाई इंटरनेट की अनुपलब्धता के कारण हो रही दिक्कतों को इंगित किया। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई इंटरनेट सुविधा की अनुपलब्धता, देश के विभिन्न बाढ़ प्रभवित इलाकों से आने वाले छात्रों की समस्याओं और मजदूर परिवारों के छात्रों के लिए परीक्षा देने योग्य माहौल की कमी के कारण लगतार समस्या देखने को मिली। छात्र OBE पोर्टल से तो दूर, अपने ईमेल से भी प्रश्न पत्र देने में सक्षम नहीं हो रहे थे। इन सभी समस्याओं को देखते हुए केवाईएस तत्काल ठोस कदम उठाने और डीयू वाईस चांसलर की बर्खास्तगी की मांग करता है।