मौजूदा लॉकडाउन दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कामगारों की तरह नेत्रहीन लोगों और कामगारों को भी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
ज्ञात हो कि ज्यादातर नेत्रहीन कामगार दिहाड़ी मजदूर हैं और बेहद ही खराब आर्थिक स्थिति में रहने के लिए मजबूर हैं।
आर्थिक रूप से समाज के सबसे पिछड़े पायदान में रहने के कारण उनकी आवाज शायद ही मुख्यधारा के सामने आ पाती है।
लॉकडाउन के कारण रोज़गार छिनने के चलते उन्हें खाने और पैसे की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनके परिवार भूखे रहने को मजबूर है।
देश भर के श्रम संस्थानों में नेत्रहीन कामगारों का व्यापक शोषण देखने को मिलता है, फिर भी इसकी ओर न तो प्रशासन और न ही समाज के अन्य वर्गों का ध्यान जाता है।
इन कामगारों को आर्थिक पिछड़ेपन के साथ प्रशासनिक अवहेलना का शिकार होना पड़ता है।
इसीलिए नेत्रहीन कामगार यूनियन (बी.डबल्यू.यू.) दिल्ली सरकार से यह मांग करता है कि वे इन कामगारों की समस्याओं का निवारण करते हुए उन पर विशेष ध्यान देने के लिए संबंधित विभागों और मंत्रालयों को निर्देशित करें।
साथ ही यूनियन यह अपील भी करता कि लॉकडाउन जैसे इस संकट की घड़ी में नेत्रहीन लोगों और कामगारों के खाने और रहने जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की तुरंत पूर्ति की जाए।
नेत्रहीन कामगार यूनियन इकलौता संगठन है, जो नेत्रहीन लोगों के साथ-साथ नेत्रहीन कामगारों के मुद्दों को लगातार उठाता रहता है और नेत्रहीन समाज की बेहतरी के लिए निरंतर संघर्षशील है।
लॉकडाउन के दौरान नेत्रहीन कामगारों की समस्याओं को लेकर आने वाले दिनों में यूनियन दिल्ली सरकार के समक्ष भी अपनी मांगों को रखेगा।