मजदूर-युवा-महिला संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने आज लॉकडाउन के संबंध में अपनी बेहद ज़रूरी मांगों को सूचीबद्ध करते हुए देश के प्रधानमंत्री को एक माँगपत्र भेजा।
ज्ञात हो कि देश-भर में विभिन्न राज्यों में निरंतर लॉकडाउन और कर्फ़्यू के कारण बड़े पैमाने पर कामगारों और आम लोगों की स्थिति बिगड़ रही है।
लोगों की इन चिंताओं को उजागर करते हुए ही यह मांगपत्र भेजा गया।
संगठनों ने तुरंत सरकार से देश की समस्त मेहनतकश जनता के लिए रिलीफ़ पैकेज घोषित करने की मांग की।
ज्ञात हो कि आज कोरोना की महामारी के समय स्वास्थ्य-सेवा, आय, निर्वाह, आश्रय, आदि से संबंधित समस्याएं लोगों को परेशान कर रही हैं।
देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन और कर्फ़्यू के बाद से कई रिपोर्टें आई हैं, जो बताती हैं कि लाखों कामगार भूखे रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, और साथ ही उन्हें स्वास्थ्य-सेवा भी मिलना बेहद मुश्किल हो रहा है।
कई रिपोर्टों से यह पता चलता है कि न केवल कामगारों, बल्कि गरीब किसानों, दलितों, आदिवासियों, खानाबदोश लोगों और सामान्य कामकाजी जनता पर भी लॉकडाउन का बुरा प्रभाव पड़ा है और विशेष रूप से बहुत लोगों को भुख-मरी और स्वास्थ्य-सेवा न उपलब्ध होने जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस कठिन परिस्थिति में जब आम जनता लॉकडाउन के बोझ में दबी है, वहीं देश का अभिजात वर्ग जरूरी सामानों को जमा कर आराम की जिंदगी जी रहा है, और साथ ही इस समय जब आम जनता को स्वास्थ्य सुविधा मिलना भी मुश्किल हो रही है, तब भी अभिजात वर्ग आम लोगों से काफी बेहतर स्थिति में है।
संगठनों ने मांग की है कि अमीरों और अभिजात वर्गों पर टैक्स लगाया जाए, ताकि लॉकडाउन के दौरान आम लोगों की दुर्दशा को कम किया जा सके।
संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न वादों के बावजूद, अब तक कामगार और गरीबों को पर्याप्त भोजन और मजदूरी न मिलने पर अपनी चिंता ज़ाहिर की|
साथ ही यह निंदनीय है कि कोरोना बीमारी और भूख से परेशान लोगों से निपटने के लिए राज्य और जिला प्रशासन पुलिस बल और लाठीचार्ज का उपयोग कर रहे हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, कई राज्यों में पुलिस ने तीमारदारों और साथ ही मीडियाकर्मियों की गिरफ्तारी की है, जो स्वास्थ्य, आजीविका और मजदूरी से संबंधित कामगारों के वास्तविक मुद्दे को दूर करने में संबंधित सरकारों की अक्षमता को उजागर करता है।
संगठनों ने अपनी मांगों का एक विस्तृत माँगपत्र प्रधानमंत्री को ईमेल के जरिये भेजा है जिसमें तुरंत सभी मेहनतकश आबादी के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने, पूँजीपतियों और अमीर भर्तियों पर महामारी टैक्स लागू करने, कामगारों को पर्याप्त मात्रा में भोजन, राशन, आश्रय और न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने, खेत एवं मनरेगा मजदूरों सहित देश के सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिये जाने, सफाई के काम में लगे सभी कामगारों को नियमित करने और महामारी भत्ता दिये जाने, निशक्तों और वृद्ध जनों को राहत सामग्रीमुहैया कराने पर विशेष ध्यान देने, कोरोना और अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए तुरंत उचित कदम उठाए जाने, इत्यादि मांगें शामिल थीं।
संगठन यह आशा करते हैं कि जन-हित में उनके इस माँगपत्र को माना जाएगा:
1. भीम - क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस)
2. दिनेश कुमार - मजदूर एकता केंद्र (डबल्यू.यू.सी.आई.)
3. हरीश गौतम - सफाई कामगार यूनियन (एस.के.यू.)
4. फातिमा चौधरी - संघर्षशील महिला केंद्र (सी.एस.डबल्यू.)
5. रामनाथ सिंह - ब्लाइंड वर्कर्स यूनियन (बी.डबल्यूयू.)
6. आरती कुशवाहा - घरेलू कामगार यूनियन (जी.के.यू.)
7. चिंगलेन खुमुकचम - नॉर्थ-ईस्ट फोरम फॉर इंटरनेशनल सोलीडेरिटी (नेफिस)
8. ललित - आनंद पर्वत डेली हॉकर्स एसोसिएशन (ए.पी.डी.एच.ए.)
9. पृथ्वीराज मुदुली - दिल्ली मेट्रो कमिशनर्स एसोसिएशन (डी.एम.सी.ए.)
10. हरीश - घर बचाओ मोर्चा
11. डॉ. माया जॉन - यूनाइटेड नर्सेज़ ऑफ इंडिया