कोरोना में लाखों जान गंवाने के कई दिनों बाद PM मोदी हुए भावुक, पत्रकार ने कहा रोने का ड्रामा चालू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना महामारी के दौरान ख़राब स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण लाखों जान गंवाने वाले लोगों के बारे में बात करते हुए शुक्रवार को बेहद भावुक नजर आए।  

फोटो: IndianExpress


उन्‍होंने ख़राब स्वास्थ्य व्यवस्था पर बात न करते हुए कहा, 'इस वायरस ने हमसे कई प्रियजनों को छीन लिया है। मैं उन्‍हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उन परिवारों के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं जिन्‍होंने अपने परिजनों को खोया है।'  

प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के डॉक्‍टरों और फ्रंटलाइन वर्कस से वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के जरिये रूबरू हुए। उन्‍होंने डॉक्‍टर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को उनके सेवाभाव के लिए धन्‍यवाद दिया।

पीएम ने कहा, 'कोरोना के दूसरी लहर में हम एक ही समय में कई मोर्चो पर भी लड़ रहे है। संक्रमण की दर ऊंची है और मरीज लंबे समय तक अस्‍पताल में हैं।' 

पीएम मोदी ने कहा-अभी संतोष का समय नहीं है। हमें अभी लंबी लड़ाई लड़नी ह। अभी हमें बनारस और पूर्वांचल के ग्रामीण इलाकों पर भी बहुत ध्यान देना है। अब हमारा मंत्र होगा, जहां बीमार, वहीं उपचार। जितना हम उपचार लोगों के पास ले जाएंगे हेल्थ व्यवस्था पर लोड उतना ही कम होगा। जहां बीमार वहीं उपचार इस सिद्धांत पर फोकस करें। 

संबोधन करते हुए पीएम ने वैक्सीनेशन को जन-अभियान का हिस्सा बनाने पर जोर दिया। 

उन्‍होंने कहा कि दिमागी बुखार से पहले यूपी में हजारों बच्चे मरते थे। योगी जी उस समय सांसद होते थे, एक बार वे संसद में रो पड़े थे। यह सिलसिला लंबा चला। जब योगीजी मुख्यमंत्री बने और भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों ने मिलकर दिमागी बुखार के खिलाफ बहुत बड़ा अभियान शुरू किया और काफी मात्रा में हम बच्चों की जिंदगी बचाने में सफल हुए। पीएम ने ब्‍लैक फंगस को भी पिछले कुछ दिनों में सामने आई नई चुनौती बताया और कहा कि इस पर जरूरी व्यवस्था तैयार करने पर ध्यान देना जरूरी है। 

वहीं दिल्ली में वैक्सीनेशन बंद होने पर एक पत्रकार विनोद कापड़ी ने एक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखते है,'भारत की राजधानी में VACCINATION बंद है। बस रोने का ड्रामा चालू है।' 

सोशल मीडिया पर भी पत्रकार के साथ कई लोगों ने ख़राब स्वास्थ्य व्यवस्था का हवाला देते हुए पीएम मोदी के वक्तव्यों का आलोचना किया। 

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