ज्ञात हो कि आज देश में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है, कोरोनावायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं और आमजन इलाज, हॉस्पिटल बेड, ऑक्सीजन, दवाइयां इत्यादि से वंचित हैं।
देश में कोरोनावायरस से लाखों लोग संक्रमित हैं और हजारों लोग रोज़ाना अपनी जानें गंवा रहे हैं, ऐसी स्थिति में छात्रों का एक बड़ा हिस्सा परेशान है, जो या तो खुद बीमार हैं या बीमार परिवारजनों का ध्यान रख रहे हैं।
साथ ही कई राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन है जिसके कारण असंख्य परिवारों ने अपने जीविका के साधन खो दिए हैं।
साथ ही, पिछले साल हुए कई सर्वे दर्शाते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा भेदभावपूर्ण है और पिछड़े हुए छात्रों को औपचारिक शिक्षा से बाहर धकेलती है।
साथ ही, पिछले साल हुए कई सर्वे दर्शाते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा भेदभावपूर्ण है और पिछड़े हुए छात्रों को औपचारिक शिक्षा से बाहर धकेलती है।
ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा एक छात्र विरोधी कदम होगा।
जब अधिकतर परिवार परिवारजनों की मृत्यु और आजीविका के साधनों की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में परीक्षा लेने से ज्यादा जरूरी यह है कि इस संकट से उबरने के तरीके निकाले जाएं।
अभी परीक्षाएं रखवाने से छात्रों में अफरा तफरी होगी और एक बड़ा हिस्सा परीक्षा देने से वंचित रहेगा ।
वहीं क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) मौजूदा महामारी और लॉकडाउन से उपजे संकट के दौर में दिल्ली विश्वविद्यालय के फाइनल ईयर परीक्षाएं करवाने के फैसले की निंदा करता है।
ज्ञात जो कि इस बाबत पिछले दिनों क्रांतिकारी युवा संगठन ने डीयू को सूचित भी किया था, लेकिन यह संवेदनहीन कदम डीयू प्रशासन की छात्रों और आम लोगों के प्रति पूरे उदासीन रवैये को उजागर करता है।
ज्ञात जो कि इस बाबत पिछले दिनों क्रांतिकारी युवा संगठन ने डीयू को सूचित भी किया था, लेकिन यह संवेदनहीन कदम डीयू प्रशासन की छात्रों और आम लोगों के प्रति पूरे उदासीन रवैये को उजागर करता है।
कुलपति को ज्ञापन सौंपकर केवाईएस ने मांग की कि फाइनल ईयर की आगामी परीक्षाओं को रद्द किया जाए और सभी छात्रों को इंटरनल असेसमेंट या पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर प्रमोट किया जाए।
साथ ही, छात्रों को मुफ्त में इंप्रूवमेंट पेपर देने की सुविधा भी दी जाए। जब तक यह संकट जारी है तब तक सब ऑनलाइन क्लासेज को निलंबित किया जाए।