डीयू छात्रों ने सोशल मीडिया कैंपेन चला कर आगामी सभी परीक्षाएं रद्द करने की मांग की।

क्रांतिकारी युवा संगठन ( केवाईएस) ने आज केन्द्रीय शिक्षा मंत्री और दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति को ज्ञापन सौंपा जिसमें छात्रों की आगामी परेक्षाओं से संबंधित चिंताओं पर प्रकाश डाला गया।
ज्ञात हो कि केवाईएस ने सोशल मीडिया अभियान भी आयोजित किया जिसमें छात्रों ने #CancelMyExams और #StopVictimisingStudents हैशटैग का इस्तेमाल कर ट्विटर कैंपेन चलाया।
यूनिवर्सिटी ने इंटरमीडिएट ईयर के छात्रों की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं, मगर यूनिवर्सिटी नोटिस के अनुसार फाइनल ईयर छात्रों की परीक्षाएं 7 जून 2021 से शुरू हो रही हैं।
यह ज्ञात हो कि यह नोटिस देशव्यापी स्वास्थ्य संकट के दौरान आया है।
देश की स्थिति गंभीर है, कोरोना के केस तेज़ी से बढ़ रहे हैं और आम जन हॉस्पिटल, दवाइयों और इलाज के लिए दर दर भटक रहे हैं।
संक्रमण लाखों लोगों में फैल गया है और रोज़ाना हजारों जानें ले रहा है।
ऐसे में छात्र समुदाय का बड़ा हिस्सा संकट से गुजर रहा है, वे या तो खुद बीमार हैं या बीमार घरवालों का ध्यान रख रहे हैं।
साथ ही कई राज्यों में लॉकडाउन है जिसके चलते असंख्य परिवारों के आय के साधन बंद हो गए हैं।
साथ ही, पिछले साल हुए कई सर्वे दर्शाते हैं कि ऑनलाइन शिक्षा भेदभावपूर्ण है और पिछड़े हुए छात्रों को औपचारिक शिक्षा से बाहर धकेलती है।
इसके साथ ही, आज देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन लगा हुआ है।
साथ ही, लॉकडाउन और आपदा के कारण छात्रों का एक बड़ा हिस्सा, खासकर मुक्त शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले करोड़ों छात्रों का हिस्सा बहुत ही परेशानी की स्थिति में है।
ऐसे में ऑनलाइन परीक्षा एक छात्र विरोधी कदम होगा।
जब अधिकतर परिवार परिवारजनों की मृत्यु और आजीविका के साधनों की कमी से जूझ रहे हैं, ऐसे में परीक्षा लेने से ज्यादा जरूरी यह है कि इस संकट से उबरने के तरीके निकाले जाएं। अभी परीक्षाएं रखवाने से छात्रों में अफरा तफरी होगी और एक बड़ा हिस्सा परीक्षा प्रणाली से वंचित हो जाएगा।
दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों की समस्याओं के प्रति उदासीन रवैया अपनाया हुआ है, इसके चलते छात्रों ने सोशल मीडिया पर अपनी समस्याओं को कैंपेन के माध्यम से व्यक्त किया।
इस संबंध में शिक्षा मंत्री और डीयू कुलपति को केवाईएस ने ज्ञापन सौंपकर मांग की कि तत्काल रूप से जून में होने वाली परीक्षाओं से संबंधित सभी नोटिफिकेशन, डेट शीट, गाइडलाइन इत्यादि को रद्द किया जाए।
यूनिवर्सिटी को वैकल्पिक मूल्यांकन के तरीके अपना कर सभी अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रेजुएट छात्रों को प्रमोट करना चाहिए।
छात्रों को बगैर फीस के इंप्रूवमेंट की सुविधा देने चाहिए।
जब तक मौजूदा संकट से देश न उबरे, तब तक सभी कक्षाएं स्थगित हों।
कोई भी अकादमिक और परीक्षा संबंधी फैसला शिक्षकों और छात्रों के साथ बातचीत के बिना न लिया जाए।