इंटरनल असेसमेंट के ओपन बुक एग्जामिनेशन (ओबीई) प्रणाली में होने के कारण छात्रों में भारी अफरा-तफरी

इंटरनल असेसमेंट के ओपन बुक एग्जामिनेशन (ओबीई) प्रणाली में होने के कारण छात्रों में भारी अफरा-तफरी!

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क्रांतिकारी युवा संगठन ( केवाईएस) ने आज दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञानविभाग को उसके द्वारा आंतरिक मूल्यांकन (इंटरनल असेसमेंट) को ओपन बुक एग्जामिनेशन (ओबीई) प्रणाली में कराए जाने के विषय में ज्ञापन सौंपा। ज्ञात हो कि इस फैसले से एम.ए. राजनीति विज्ञान के छात्रों में चिंता की स्थिति बन गई है, जिनके इंटरनल असेसमेंट जून के महीने में होंगे। आगामी इंटरनल असेसमेंट मूल रूप से सेमेस्टर के अंत की परीक्षा के समान हैं, जो छात्रों पर बड़ा बोझ साबित होंगे।

यह भी ज्ञात हो कि डीयू के अन्य सभी विभाग इंटरनल असेसमेंट को असाइनमेंट के रूप में ले रहे हैं, और राजनीति विज्ञानविभाग ही इकलौता विभाग है जो ओबीई प्रणाली में इंटरनल असेसमेंट करा रहा है। पिछली बार भी डीयू के दिशानिर्देश का उल्लंघन कर के राजनीति विज्ञानविभाग ने इंटरनल असेसमेंट को ओबीई के तहत लिया था। इसके कारण, इंटरनल असेसमेंट और सेमेस्टर-अंत परीक्षा के परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुए हैं।

यह फैसला सीधे-सीधे इंटरनल असेसमेंट के संदर्भ में डीयू के दिशानिर्देश का उल्लंघन करता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन (एग्जामिनेशन) द्वारा अंडरग्रैजुएट और पोस्टग्रेजुएट (फर्स्ट और थर्ड सेमेस्टर) हेतु 19.02.2021 को दिया गया नोटिस उल्लेख करता है कि 31.10.2020 के नोटिस के अनुसार इंटरनल असेसमेंट रखा जाएगा। इस नोटिस में साफ है कि कोविड-19 इंटरनल असेसमेंट के तीन भागों - क्लास टेस्ट, ट्यूटोरियल टेस्ट और अटेंडेंस में से केवल एक भाग, इंटरनल असाइनमेंट, से ही इंटरनल असेसमेंट लिया जाएगा।

ज्ञात हो कि देश में स्वास्थ्य संकट के कारण बहुत चिंताजनक स्थिति है, कोविड के मामले बढ़ते जा रहे हैं और आम जनता मेडिकल सुविधाएं, हॉस्पिटल बेड, इलाज इत्यादि की कमी से जूझ रही है। महामारी और स्वास्थ्य संकट के चलते लाखों लोगों में संक्रमण और रोज़ाना हजारों मौत के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में छात्रों का एक बड़ा हिस्सा या तो खुद बीमार है या बीमार घर वालों का ध्यान रखने में व्यस्त है, या किसी करीबी को खो चुके हैं। इसके साथ ही कई राज्यों में लॉकडाउन है जिसके कारण असंख्य परिवारों ने अपनी आय के साधन खो दिए हैं।

ऐसी गंभीर स्थिति में, जब छात्रों के पास लाइब्रेरी, प्रिंटेड स्टडी मटेरियल, किताबों, इत्यादि की कमी है, ओबीई में इंटरनल असेसमेंट के फैसले से चिंताजनक स्थिति उपजी है। ऐसे में उनके लिए विषय पढ़ना, उसे समझना और छोटी-सी अवधि में ओबीई मोड में इंटरनल असेसमेंट देना नामुमकिन है। इस संकट के समय में इंटरनल असेसमेंट को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती है। ओबीई जैसी भेदभावपूर्ण प्रणाली से छात्रों में अफरा तफरी फैलेगी और साथ ही छात्रों का एक बड़ा हिस्सा निष्पक्ष मूल्यांकन से वंचित हो जाएगा।

राजनीति विज्ञानविभाग के एचओडी को दिए ज्ञापन में केवाईएस के इस फैसले पर पुनर्विचार कर इसे वापस लेने की मांग की है, खासकर तब जब इससे विश्वविद्यालय के दिशानिर्देश का सीधे-सीधे उल्लंघन हो रहा है, और असाइन्मंट बेस्ड इवैल्यूएशन (एबीई) प्रणाली के तहत इंटरनल असेसमेंट का आयोजन करने की मांग करता है। साथ ही, विभाग द्वारा कोई भी परीक्षा संबंधी और अकादमिक फैसले से पहले शिक्षकों और छात्रों से विचार विमर्श होना चाहिए।

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