
यह ज्ञात हो कि इस मामले में पुलिस की जाँच बेहद उदासीन रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बलात्कार की संभावना को खारिज करती है। मगर मृतक का परिवार पुलिस जांच को संदेहास्पद मान रहा है क्योंकि उसमें न तो मौत का समय लिखा गया है और परिवार के अनुसार रिपोर्ट में शारीरिक हिंसा का अपर्याप्त विवरण दिया गया है। पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार एक आदमी ने महिला का पति होने का दावा किया है और इस अपराध के लिए आत्मसमर्पण किया है। मगर परिवार ने इस दावे को झूठा बताया है और महिला के नियोक्ताओं के प्रति अपना शक जाहिर किया है। लेकिन पुलिस ने परिवार के इन दावों का संज्ञान लेकर संदिग्ध व्यक्तियों पर कोई जांच नहीं की है।
सीएसडब्लू का कहना है कि यह साफ तौर पर उदासीन पुलिस जांच का मामला है जिसमें तथ्यों को सामने लाने की जगह उन्हें छुपाने के प्रयास किए गए हैं। जनता में बढ़ते आक्रोश के बावजूद, दिल्ली सरकार और गृह मंत्री ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।
महिला संगठनों ने इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय को ज्ञापन भी सौंपा। सीएसडब्ल्यू इस मामले में सीबीआई द्वारा निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग करता है। अपराधियों की पहचान कर सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोषियों की गिरफ्तारी की भी मांग करता है। मृतक के परिवार को पर्याप्त मुआवजा और साथ-ही-साथ एक परिवारजन को नौकरी देने की भी मांग करता है। साथ ही, सरकार द्वारा सभी कामकाजी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने, महिलाओं के खिलाफ अपराध के दोषियों को सज़ा सुनिश्चित करने, निर्भया फंड के लिए उपयुक्त फंड आवंटित करने की मांग करता है, और सभी जिलों में वन-स्टॉप रेप क्राइसिस सेंटर एवं स्थानीय शिकायत समिति स्थापित करने की भी मांग करता है ताकि कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जाँच सुनिश्चित हो पाये।