ज्ञात हो कि डीयू में कैंपस खोलने के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शन के दो महीने पूरे होने को हैं। प्रदर्शन में मौजूद छात्रों ने कहा कि हम इस आंदोलन को कोविड के आंकड़े को ध्यान में रखते हुए इसे तत्काल रोक दिया है, लेकिन जिस तरह से विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया रहा है उस हिसाब से हम भारी संख्या में यहाँ उपस्थित होकर प्रदर्शन करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो शिक्षा मंत्रालय भी जाएंगे।
वहीं क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) से भीम ने कहा कि डिजिटल डिवाइड से जूझ रहे छात्रों की दुर्दशा के प्रति डीयू प्रशासन की उदासीनता और उसके द्वारा दिये गए झूठे आश्वासनों के खिलाफ इस प्रदर्शन का आयोजन किया गया। ऑनलाइन शिक्षा गैरबराबरी को बढ़ावा देती है और वंचित पृष्ठभूमियों और हाशियाई समुदायों से आने वाले छात्रों की शिक्षा पर भयंकर दुष्प्रभाव डालती है।
शिक्षा पर 2017-18 की नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 24% भारतीय परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा है। जबकि भारत की 66% आबादी गांवों में रहती है, केवल 15% ग्रामीण परिवारों के पास इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच है। सबसे गरीब 20% घरों में, केवल 2.7% के पास कंप्यूटर और 8.9% के पास इंटरनेट सुविधाओं तक पहुंच है।
ऐसे में मेहनतकश वर्ग के छात्रों को औपचारिक शिक्षा के दायरे से बाहर धकेल दिया जाता है। सरकार ने इस समय का उपयोग सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 जैसी जनविरोधी नीतियों को लागू करने के लिए किया है।
वहीं मौजूद संगठन ने कहा है कि हम ऑनलाइन शिक्षा की आड़ में सार्वजनिक शिक्षा के अनौपचारिकीकरण और एनईपी-2020 को थोपने के खिलाफ इस आंदोलन को तेज करने का प्रण लिया है।