
बता दें कि सत्य निकेतन में भरभराकर ढहने वाली तीन मंजिला इमारत को दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने गत मार्च में ही जर्जर घोषित कर दिया था, इसके बावजूद मरम्मत करवाई जा रही थी। इतना ही नहीं काम करने वाले मजूदर भी इसी इमारत में रहते थे, ताकि उनके जाने पर किसी को पता न चल जाए।
दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इमारत में काम करने वाले सभी मजूदर अररिया, बिहार के रहने वाले हैं और ठेकेदार रईस अलाम के रिश्तेदार व गांव वाले हैं। सभी को ठेकेदार करीब दो महीने पहले लेकर आया था। रात में यहीं सोते थे और दिन में पास में ही स्थित दूसरी साइट पर काम करते थे। इमारत बहुत ही जर्जर हालत में थी।
दक्षिण नगर निगम ने इस इमारत को 31 मार्च को खतरनाक (डेंजर) घोषित कर दिया था। इसके बाद निगम ने इमारत पर नोटिस चस्पा कर दिया था और मालिक अमृत कौर को नोटिस भी दिया था।
मजूदर राजेश साहनी दोपहर में नानकपुरा स्थित गुरुद्वारे में लंगर खाने चला था। इस कारण वह बच गया था। उसने बताया कि उसे गुरुद्वारे से लौटते वक्त इमारत के ढहने का पता लगा था। तीसरी मंजिल पर उनके रहने का कमरा बना हुआ था। वह एक सप्ताह पहले ही इस इमारत में रहने आया था। उसने बताया कि सीढ़ियों को तोड़कर हॉल से नई सीढ़ियां बनाई जा रही थीं। पहली मंजिल पर हॉल की दीवार को तोड़कर दूसरी दीवार बनाई जा रही थी। दीवार के लिए कॉलम बनाया गया। इमारत के ढहने से पहले वह बदरपुर लेकर आया था।
मृतक नसीम अपने परिवार में अकेला कमाने वाला था। उसके परिवार में पत्नी रिजवानी के अलावा चार बेटी व तीन वर्ष का एक बेटा है। चारों बेटी स्कूल जाती हैं। नसीम के भाई आजाद ने बताया कि उसकी भाभी गांव में छोटा-मोटा काम करती है। नसीम के दिल्ली आने के बाद भाभी ने काम करना बंद कर दिया था। इसके बाद नसीम घर में अकेला काम करने वाला रह गया था। नसीम दो महीने पहले ही दिल्ली आया था। भाई ने बताया कि वह दिल्ली नहीं आना चहाता था, मगर ठेकेदार रईस नसीम को अतिरिक्त मजदूरी देने का वादा कर उसे दिल्ली ले आया था। नसीम के परिवार पर दुखों को पहाड़ टूट पड़ा है।
आजाद ने बताया कि सत्य निकतेन में दो महीने पहले काम करना शुरू किया था। इसके लिए बिहार से इन मजदूरों को लाया गया था। ये मजदूर इमारत में ही रहते थे। ताकि अवैध निर्माण की जानकारी लोगों को न लगे। इमरान अपने चाचा नसीम के साथ खाना खाता था। इमरान कुछ दूरी पर रहता है और मजदूरी करता है। वह सोमवार दोपहर को करीब 1.40 बजे नसीम के पास खाना खाने पहुंचा था। वहां पहुंचकर उसे हादसे की जानकारी हुई। इमरान ने आजाद व गांव में हादसे की जानकारी दी।