
राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद चलाई जा रही बुलडोज़र आखिरकार रुक गई।
बता दें कि बीते शनिवार को हुई हिंसा के बाद सामान्य होते हालात के बीच बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम की तरफ से पूरे जहांगीरपुरी क्षेत्र में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाने वाला था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इसके बावजूद जहांगीरपुरी में कुछ देर के लिए बुलडोज़र चले, जिसमें कई रेहड़ी, दुकान, घर और एक मस्जिद के दीवार तोड़े गये। हालांकि, बाद में दिल्ली नगर निगम ने तोड़फोड़ की कार्रवाई बन्द कर दी।

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी दीपेंद्र पाठक ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिल गया है। कार्रवाई रोक दी गई है। अभी यहां के हालात शांतिपूर्ण हैं। पर्याप्त संख्या में पुलिसबल तैनात किए गए हैं।
वहीं छात्र संगठन क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने कहा कि दिल्ली के जहांगीरपुरी में "अतिक्रमण विरोधी" अभियान के झूठे बहाने घरों और दुकानों की अवैध और असंवैधानिक तोड़फोड़ की केवाईएस कड़ी निंदा करता है।

ज्ञात हो कि जहांगीरपुरी में शनिवार को इलाके की एक मस्जिद के पास हनुमान जयंती जुलूस निकाले जाने पर हिंसक सांप्रदायिक झड़पें देखने को मिलीं। यह जुलूस जल्द ही हिंसक हो गया जहां दो समूहों के बीच झड़पें हुईं, जिसमें कई लोग घायल हो गए। आज सुबह, नगरपालिका ने बुलडोजर भेजे और क्षेत्र में दुकानों और अन्य संपत्तियों को अवैध रूप से ध्वस्त करना शुरू कर दिया।
यह भी ज्ञात हो कि दिल्ली भाजपा प्रमुख आदेश गुप्ता ने मेयर को पत्र लिखकर "दंगाइयों" का अवैध निर्माण की पहचान करने और उन्हें ध्वस्त करने को कहा था। ड्राइव के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इस तोड़फोड़ पर यथास्थिति का आदेश दिया और कल (गुरुवार को) मामले की सुनवाई करने के लिए तारीख दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी यह अभियान जारी रहा।
इस घटना ने एक बार फिर सत्तारूढ़ सरकार के सांप्रदायिक चरित्र को सामने ला दिया है। दंगाइयों को दण्ड से मुक्ति देकर धार्मिक उग्रवाद और कट्टरवाद को बढ़ावा देते हुए, सरकार ने बार-बार अल्पसंख्यक समूहों पर नकेल कसी है। खासकर भाजपा शासित राज्यों में, सांप्रदायिक दंगों के बाद अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के घरों को तोड़ना देश भर में एक मामूल बन गया है। यह समाज के भीतर साम्प्रदायिकता के पनपने और बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार तैयार करता है जिससे निम्नस्तरी राजनैतिक हित साधे जाते हैं।
केवाईएस से भीम ने कहा, "हम इस तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते है जो पूरी तरह से धार्मिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य को बढ़ावा देती है। अल्पसंख्यक समूहों के सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों पर हमले का दृढ़ता से विरोध किया जाना चाहिए ताकि जाति, समुदाय और पंथों के ध्रुवीकरण से परे मेहनतकश जनता के बीच व्यापक एकजुटता का निर्माण किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने और इस अवैध निष्कासन अभियान के लिए जिम्मेदार सभी अधिकारियों और मंत्रियों को सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। इन दंगों की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच शुरू की जानी चाहिए। संपत्तियों का विध्वंस आपराधिक कानून द्वारा मान्य दंडात्मक उपाय नहीं है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।"