रोजी-रोटी की तलाश में अब भी गुमला के मजदूर बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं। विभागीय उदासीनता का परिणाम है कि वे महानगरों में फंस रहे हैं, शोषित हो रहे हैं।
पलायन का एक कारण जिले में कल कारखाना का नहीं होना और रोजगार की कमी को बताया जाता है। गम्हरिया सकरपुर के भी लगभग दस लोग आर्थिक स्थिति बेहतर करने की सोच के साथ त्रिपुरा ईंट भट्ठा काम करने गए थे।
अब जब वे घर लौटना चाह रहे थे, तो उन्हें आने नहीं दिया जा रहा था। बाद में काफी कोशिशों के बाद आधे लोगों को घर आने की अनुमति दे दी गई है। लेकिन काम के एवज में पैसे का भुगतान नहीं किया गया है।
यदि भट्ठा मालिक द्वारा पैसे दिए जाएंगे, तो मजदूर लौट सकते हैं, नहीं तो वहीं फंसे रहेंगे। मजदूर रोजरानी ने बताया कि वे अपने परिवार के साथ वहां हैं। गांव से दस लोग वहां काम करने छह-सात माह पहले गए हैं। लोहरदगा के प्रसाद नामक व्यक्ति ने उनलोगों को काम के साथ कई प्रकार की सुविधाएं दिलाने का प्रलोभन देकर ले गया।
लेकिन छह महीने में सिर्फ प्रत्येक सप्ताह चार से पांच सौ रुपए ही दिया जाता है। इसके अलावा कोई सुविधा नहीं मिलती है। ईंट भट्ठा में काम करने की वजह से तबीयत भी लगातार खराब होती रहती है। अभी घर जाने की बात मान ली गई है।
लेकिन पैसे नहीं दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि गुमला में काम नहीं मिलने और आर्थिक स्थिति खराब रहने के कारण उनलोगों को गांव छोड़ना पड़ता है।