क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने 7 जून, मंगलवार से सेंट स्टीफंस कॉलेज मामले एवं सरकारी स्कूल के छात्रों को डेप्रीवेशन पॉइंट्स दिये जाने और डीयू के सभी कॉलेजों में ईवनिंग शिफ्ट शुरू करने की मांगों पर अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की। इन्हीं मुद्दों पर केवाईएस ने 6 जून, सोमवार को स्टीफंस कॉलेज से आर्ट्स फैकल्टी (दिल्ली विश्वविद्यालय) तक विरोध रैली का आयोजन भी किया था।
ज्ञात हो कि डीयू में इस साल से कॉमन यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) लागू होने वाला है। हालांकि यह अपने आप में एक ऐसा कदम है जो औपचारिक मोड शिक्षा में प्रवेश पाने से बहुसंख्यक छात्रों को बाहर कर देगा, सेंट स्टीफंस कॉलेज ने कॉलेज में प्रवेश के लिए सीयूईटी स्कोर के अलावा एक साक्षात्कार मानदंड या इंटरव्यू वेटेज की घोषणा कर दी है। गौरतलब है कि सेंट स्टीफंस कॉलेज लंबे समय से दाखिले के लिए इंटरव्यू आयोजित कर रहा है। यह एक अभिजात्य और भेदभावपूर्ण परंपरा है क्योंकि साक्षात्कार आयोजित करने का एकमात्र कारण कॉलेज में प्रवेश के लिए सबसे विशिष्ट छात्रों का चयन करना है। वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को कॉलेज में प्रवेश पाने से रोकने के लिए ऐसे मानदंडों का लगातार उपयोग किया जाता है, और इस तरह प्रवेश देने और चुनिंदा कुलों और परिवारों के विशेषाधिकार को बनाए रखा जाता है। यह स्थिति बेहद भेदभावपूर्ण है, और शिक्षा में विशेषाधिकार समाप्त करने के खिलाफ जोतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले जैसे महान समाज सुधारकों के ऐतिहासिक संघर्षों के मूल्यों के विपरीत है।
हर साल देश भर से हजारों छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों और विभागों में प्रवेश के लिए आवेदन करते हैं। कटऑफ प्रणाली पर यह सवाल उठाया जाता रहा है कि यह विशेषाधिकार-प्राप्त पृष्ठभूमियों के छात्रों के पक्ष में थी। परंतु इसके बावजूद अभी भी इसी तरह की नीति सीयूईटी के माध्यम से लायी जा रही है, जिसमें सीधे तौर पर निजी स्कूलों के छात्र जो बेहतर बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के कारण अच्छे से शिक्षित हैं, वे सरकारी स्कूलों के छात्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। सरकारी विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षाओं की यह भेदभावपूर्ण प्रवेश नीति संपन्न पृष्ठभूमि के छात्रों को विशेषाधिकार प्रदान करती है। यह तथ्य है कि डीयू आवेदकों की संख्या और विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या के बीच भारी अंतर को नजरअंदाज करता है, और डीयू की इसी पक्षपातपूर्ण दाखिला नीति पर सीयूईटी परीक्षा आधारित है। यह असल में विडंबना है कि जो लोग 12वीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं, वे प्रमुख सरकारी वित्त पोषित उच्च शिक्षण संस्थानों से बाहर हैं। इसलिए, वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को औपचारिक-मोड उच्च शिक्षा में प्रवेश करने में सक्षम बनाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए।
केवाईएस सेंट स्टीफन के भेदभावपूर्ण और अभिजात्य प्रशासन की कड़ी निंदा करता है, और मांग करता है कि इंटरव्यू को वेटेज देने के निर्णय को तत्काल रद्द कर दिया जाना चाहिए। इसके बजाय, सामान्य प्रवेश प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। साथ ही, संगठन यह भी मांग करता है कि प्रवेश प्रक्रिया में सरकारी स्कूल के छात्रों को 20% डेप्रिवेशन पॉइंट सुनिश्चित किया जाए, सीटों की संख्या बढ़ाई जाए और सभी रेगुलर कॉलेजों में ईवनिंग शिफ्ट भी शुरू की जाए।