10 अक्टूबर 2022 को इतिहास विषय के यूजीसी नेट परीक्षा में पेपर लीक होने का मामला सामने आया था। जिसमें कई छात्रों ने पेपर लीक होने का आरोप लगाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यूजीसी नेट परीक्षा की 'उत्तर कुंजी' परीक्षा शुरू होने से पूर्व ही सोशल मीडिया पर साझा की जा रही थी, जिसके बाद आक्रोशित छात्रों ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ यूजीसी मुख्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया।
बता दें कि यूजीसी नेट परीक्षा का आयोजन आम तौर पर साल में दो बार कराया जाता है। हालांकि, इस बार परीक्षा के दो सत्रों को एक साथ लिया गया है, जिससे छात्रों की शैक्षणिक और व्यावसायिक संभावनाओं में नुकसान हुआ है।
केवाईएस ने कहा, "देश के अधिकतर उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की भारी कमी है और हजारों शिक्षण पद खाली हैं। परीक्षाओं में देरी के कारण इन पदों पर नई नियुक्तियां नहीं होती हैं, जिससे सार्वजनिक उच्च शिक्षा पर दुष्प्रभाव पड़ता है। उम्मीदवारों की बड़ी संख्या के कारण, इस साल अधिकतर नेट की परीक्षाएं दो शिफ्टों में कराई गईं जिसमें अलग अलग प्रश्नपत्र होने के कारण मूल्यांकन में असामनता आती है। इसी कारण से हम मांग करते है कि लीक हुए पेपर को फिर से कराया जाना चाहिए और इस मामले में निष्पक्ष जांच होना जाना चाहिए ताकि सभी दोषियों की पहचान कर के उन्हें कड़ी सजा दी जा सके। यूजीसी को इस मामले में जिम्मेदारी लेकर उम्मीदवारों से माफी मांगनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए की ऐसा वाकिया फिर से ना हो।" इसके साथ ही केवाईएस ने यूजीसी नेट परीक्षा को दो अलग अलग शिफ्ट में करवाने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की भी मांग की।
आईसा ने कहा, "26 दिसंबर को हिंदी की परीक्षा हुई थी और अगले ही दिन खबर आई कि पेपर लीक हो गया है। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए जींद पुलिस ने हरियाणा में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों के फोन में लीक हुये प्रश्नपत्र मिले। पुलिस ने बताया कि इस पूरी घटना में करीब छह परीक्षा केंद्र शामिल थे। इसलिए हम मांग करते है कि यूजीसी नेट हिंदी की परीक्षा पारदर्शी तरीके से दोबारा कराई जाए। एनटीए से परीक्षा अनुबंध वापस लिया जाए और यूजीसी पहले की तरह परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी ले। इस परीक्षा में उम्मीदवारों को हुए नुकसान के लिए एनटीए और यूजीसी दोनों को जवाब देना चाहिए।"
पेपर लीक के आरोप में एनटीए ने क्या कहा
वहीं एनटीए के सीनियर डायरेक्टर साधना पराशर ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 10 अक्टूबर को फेस-2 का पेपर समाप्त होने के बाद छात्रों को सोशल मीडिया के जरिए 'उत्तर कुंजी' प्राप्त हुआ, जो उस पेपर से मेल भी नहीं खाता है। उन्होंने ऐसे खबरों को फर्जी बताते हुए छात्रों को ऐसी भ्रामक ट्वीट्स और खबरों से दूर रहने की सलाह दी है।