कई संगठनों ने मिलकर आज तालिबान एवं अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ अफ़गान जनता के संघर्ष के साथ खड़े होने का प्रण लिया

क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस), आईसा और अन्य प्रगतिशील संगठनों ने आज मंडी हाउस पर तालिबान एवं अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ अफ़गान जनता के संघर्ष के लिए एकजुटता सभा में हिस्सा लिया। अफगानिस्तान में अमरीकी अधिपत्य हटने और तालिबान द्वारा सत्ता हथियाने पर होने वाली बर्बरता से पूरी दुनिया को आघात लगा है। अशरफ गनी की भ्रष्ट सरकार को भागने पर मजबूर होना पड़ा, जिससे साफ होता है कि वे अमरीकी ताकतों के अधीन काम कर रहे थे। अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति भयानक है। महिलाएं, और धार्मिक अल्पसंख्यक इत्यादि उत्पीड़न से डरे हुए हैं और आम जनता लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक अधिकारों के हनन से डरे हुए हैं।




अफगानिस्तान में अमरीकी साम्राज्यवाद का मकसद मध्य पूर्व एवं मध्य एशिया में तेल और गैस संसाधनों पर नियंत्रण पाना था। ये दोनों ही इलाके अफगानिस्तान से सटे हुए हैं। अमरीका ने शुरुआत में अप्रत्यक्ष रूप से तालिबान के शासन को समर्थन दिया था परंतु बाद में जब तालिबान और भूतपूर्व सोवियत-विरोधी जिहादी गुटों के कारण उसके हितों को नुकसान पहुंचा, तब अमरीका उसके विरुद्ध हो गया। जाहिर तौर पर तो अफगानिस्तान और इराक में युद्ध 'आतंकवाद' के खिलाफ लड़ा गया, परंतु उसका असल मकसद उस पूरे क्षेत्र पर नियंत्रण पाने का था। 20 सालों के युद्ध के कारण गिरती अर्थव्यवस्था के चलते अमरीका को वापस लौटना पड़ा। अधिपत्य के 20 सालों में अफगानिस्तान के हजारों आम लोग जान गंवा चुके हैं, कई गांव तबाह हो गए हैं, परिवार बिछड़ गए हैं और विस्थापित हो गए हैं।


वहीं क्रांतिकारी युवा संगठन के सदस्य भीम का कहना है कि भारत में भाजपा ने अफगानिस्तान की स्थिति को अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फ़ैलाने के लिए इस्तेमाल किया है। भाजपा के कई नेताओं और कई मीडिया चैनलों ने मुस्लिम समुदाय और तालिबान के शासन की तुलना करी है और उन्हें तालिबान की विचारधारा का समर्थक दर्शाने का प्रयास किया है। यह बेहद निंदनीय है। अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति का इस्तेमाल कर के सांप्रदायिक नफरत फ़ैलाने वालों पर रोक लगाने और उन पर कड़ी कार्यवाही करने की सख्त जरूरत है। साथ ही, सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत में रहने वाले अफगान नागरिकों और शरणार्थियों को ऐसी नफरत से बचाया जाए और किसी को भी उनकी आस्था या पहचान के कारण शरण मिलने से वंचित न किया जाए।

वे आगे कहते हैं, अफ़गानिस्तान में औरतों और आम जनता ने अमरीकी साम्राज्यवाद और तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सड़कों का रुख लिया है। इस क्षण में जरूरी है कि दुनिया भर की मेहनतकश जनता अफ़गान जनता से एकजुटता दिखाए और अपनी सरकारों पर दबाव डालें कि तालिबान को मान्यता न दी जाए। साथ ही, सभी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय समुदायों को अफ़गान जनता की इस मांग को समर्थन देना चाहिए, कि कोई भी सत्ता परिवर्तन हिंसा के बल पर नहीं बल्कि सभी लोगों, खासकर महिलाओं, की भागीदारी से हो। साथ ही, अफगानिस्तान में अमरीका और उसके समर्थकों और हालिया सरकार एवं तालिबान शासन द्वारा युद्ध अपराधों पर एक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल द्वारा जांच होनी चाहिए और सभी दोषियों को हिंसा, हत्याओं इत्यादि के लिए सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। केवल इन्हीं तरीकों से अफगानिस्तान में जारी हिंसा को रोक कर, शांति, समानता, और न्याय सुनिश्चित किए जा सकते हैं।


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