समस्तीपुर : नव विहान सेवा सोसायटी द्वारा शहर के जितवारपुर, वार्ड नं 10 के दलित बस्ती में जाकर महिलाओ और असहाय बच्चों के बीच कलम, किताब, पेंसिल, स्लेट बॉक्स का वितरण कर साक्षरता अभियान चलाया गया। बसंत पंचमी के अवसर पर सावित्री बाई फुले को किया गया है याद ! शिक्षा से वंचित वर्गो के बीच शिक्षा की अलख जगाने की छोटी सी कोशिश की गई!
इस कार्यक्रम में नव विहान सेवा सोसायटी के सदस्य रीता देवी ने बताया कि इन समाज में शिक्षा का अलख जगाने के लिए बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा से बेहतर कोई दूसरा दिन नहीं हो सकता था। उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले बच्चों को परिवारिक-आर्थिक तंगी के कारण शिक्षा ग्रहण करना तो दूर, भरपेट खाना खाने के लिए भी सोचना पड़ता है। ऐसे में इन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मदद की जरुरत है। हमारे थोड़े सहयोग से उनकी स्थिति में सुधार होगा और वो शिक्षित भी होंगे।मौके पर मौजूद डा० गायत्री देवी ने कहा कि विद्या की देवी सरस्वती नहीं, सावित्रीबाई फुले है। असल में सावित्री बाई फुले की पूजा होनी चाहिए।
वसंत पंचमी के मौके पर भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई को याद किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में वंचितो और महिलाओं के बीच शिक्षा अलख जगाने का काम भारत की प्रथम शिक्षका माता सावित्रीबाई फूले ने किया।वहीं वक्ताओं ने महिला के लिए उनके द्वारा किए गए संघर्ष की जानकारी देते हुए कहा कि बात उन दिनों की है जब महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं था। तब माता सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिबा फुले के सहयोग से सन् 1848 में महिलाओं के लिए प्रथम विद्यालय विद्यालय की स्थापना की। ऐसे में शिक्षा की सरस्वती कैसे ?वहीं फुले दंपति के संघर्ष के बदौलत 1881 में अंग्रेजो ने शिक्षा का अधिकार कानून भारत में लागू किया।
मौके पर सुप्रिया कुमारी, चांदनी कुमारी, आयुष कुमार, प्रिंस कुमार, मनीषा कुमारी, प्रीती कुमारी,आदि मौजूद थे।