संघर्षशील महिला केंद्र (सीएसडबल्यू) ने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा छात्रावासों में रहने वाली छात्राओं की आवाजाही को रोकने के नोटिस की निंदा की है।
बता दें कि डीयू प्रशासन ने एक नोटिस जारी कर होली के अवसर पर 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन शाम 6 बजे तक छात्राओं के छात्रावासों में रहने की सलाह दी थी। जिसमें बताया गया कि यह कदम होली के अवसर पर छात्राओं की 'सुरक्षा' के लिए बढ़ाया गया है।
ज्ञात हो कि छात्राओं ने 7 मार्च को इस नोटिस के खिलाफ एक मार्च भी निकाला था। इस संदर्भ में यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पुरूष छात्रावासों को ऐसा कोई भी नोटिस नहीं भेजा गया है जो वास्तव में भेदभावपूर्ण है।
सीएसडबल्यू से मांडवी ने कहा, "यह विडंबना है कि महिलाओं की आवाजाही पर रोक लगाता डीयू का यह नोटिस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आया है जब दुनिया भर में महिलाएं अंतर्राष्ट्रीय महिला आंदोलन के संघर्षों को याद करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक ऐसा अवसर है जब महिलाएं असमानता, पितृसत्ता, जातिवाद और पूंजीवाद के खिलाफ आंदोलन को जारी रखने और मजबूत करने का संकल्प लेती हैं। ऐसे दिन डीयू द्वारा निकाला गया यह नोटिस बेहद निंदनीय है।"
सीएसडब्ल्यू ने मांग की है कि नोटिस वापस लिया जाए व डीयू के अधिकारियों द्वारा इस महिला विरोधी नोटिस के लिए माफी मांगी जाए।
ज्ञात हो कि छात्राओं ने 7 मार्च को इस नोटिस के खिलाफ एक मार्च भी निकाला था। इस संदर्भ में यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पुरूष छात्रावासों को ऐसा कोई भी नोटिस नहीं भेजा गया है जो वास्तव में भेदभावपूर्ण है।
सीएसडबल्यू से मांडवी ने कहा, "यह विडंबना है कि महिलाओं की आवाजाही पर रोक लगाता डीयू का यह नोटिस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आया है जब दुनिया भर में महिलाएं अंतर्राष्ट्रीय महिला आंदोलन के संघर्षों को याद करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक ऐसा अवसर है जब महिलाएं असमानता, पितृसत्ता, जातिवाद और पूंजीवाद के खिलाफ आंदोलन को जारी रखने और मजबूत करने का संकल्प लेती हैं। ऐसे दिन डीयू द्वारा निकाला गया यह नोटिस बेहद निंदनीय है।"
सीएसडब्ल्यू ने मांग की है कि नोटिस वापस लिया जाए व डीयू के अधिकारियों द्वारा इस महिला विरोधी नोटिस के लिए माफी मांगी जाए।