
अखिल भारतीय पेंशन बहाली मोर्चा (All India Pension Revival Front) के बैनर तले 11 अप्रैल, मंगलवार को सैंकड़ों शिक्षकों व कर्मचारियों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित शंखनाद धरने में अपनी प्रमुख मांगों पुरानी पेंशन योजना की तुरन्त बहाली, स्थायी राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन, समस्त संविदा / आउटसोर्स / दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों एवं अनुबन्धित शिक्षकों को नियमित करते हुए सभी प्रकार की ठेका प्रथा की समाप्ति, सरकारी संस्थानों के व्यावसायीकरण / निगमीकरण / निजीकरण की समाप्ति और प्रत्येक स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों के लिए केंद्रीय बजट का 10 प्रतिशत आवंटन को मनवाने हेतु पूरे उत्साह व जोश के साथ भाग लिया, जिसमें महिला अध्यापिकाओं एवं महिला कर्मचारियों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल सिंह ने आंदोलनकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन की बहाली हमारे शिक्षकों/ कर्मचारियों की न केवल मूलभूत आवश्यकता है बल्कि यह हमारे लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकारों पर दोहरा मापदण्ड अपनाने का आरोप लगाया कि सांसद व विधायक स्वयं तो मोटी पेंशन ले रहे हैं जबकि कर्मचारियों को इससे वंचित रखकर अन्याय कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि कोविड काल में केन्द्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों / शिक्षकों ने ही देश को इस विश्वव्यापी संकट से निजात दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन की बहाली के लिए हम आंदोलन को सड़क से संसद तक जोर-शोर से उठाते रहेंगे जब तक हमारी मांग केन्द्र सरकार मान नहीं लेती है।
इंडियन पब्लिक सर्विसेज इम्प्लाईज फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव प्रेम चन्द ने कहा कि पुरानी पेंशन हमारे कर्मचारियों / शिक्षकों को एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देती है तथा नई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली ने हमारे इस सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार पर कुठाराघात किया है। उन्होंने सरकार से उच्च प्राथमिकता के आधार पर तुरन्त पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का पुरजोर समर्थन किया।
शंखनाद धरने को सम्बोधित करते हुए आल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर्स आर्गनाइजेशन्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष अश्वनी कुमार व महासचिव सी एल रोज ने केन्द्र सरकार को बताया कि नई राष्ट्रीय पेंशन योजना में कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारन्टी नहीं दी जाती व इसके अतिरिक्त अनेक कमियों के चलते केन्द्र व राज्य सरकार के शिक्षक/कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं तथा पुरानी पेंशन योजना को तुरन्त बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
अखिल भारतीय सेकन्डरी शिक्षक संघ के मुख्य सलाहकार मनोज सहरावत ने केन्द्र सरकार से मांग की कि सभी शिक्षकों/कर्मचारियों के लिए स्थायी राष्ट्रीय वेतन आयोग का गठन हो तथा समय-समय पर सेवाशर्तों में सुधार किया जाए।
दीपक घोलकिया, राष्ट्रीय सलाहकार, इंडियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन ने आंदोलनकारियों को सम्बोधित करते हुए केन्द्र व राज्य सरकारों से मांग की कि सरकारी संस्थानों के व्यावसायीकरण निगमीकरण निजीकरण को समाप्त किया जाए तथा स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्रों के लिए केंद्रीय बजट का 10-10 प्रतिशत आवंटित किया जाए।
डॉ. रामचन्द्र डबास, संयोजक, अखिल भारतीय पेंशन बहाली मोर्चा एवम् अजय वीर यादव, अध्यक्ष, इंडियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाईज फेडरेशन (दिल्ली राज्य कमेटी) ने संयुक्त बयान जारी करते हुए केन्द्र सरकार को चेतवनी दी यदि हमारी उपरोक्त चारों मांगों का तुरन्त समाधान नहीं किया गया तो कर्मचारी व शिक्षक राष्ट्रीय स्तर पर विशाल आन्दोलन छेड़ने को विवश होगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होगी। शंखनाद धरना स्थल से देश के माननीय प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, सभी राज्य के मुख्यमंत्रियों तथा कैबिनेट सचिव, भारत सरकार को ज्ञापन सौपे गये ।