KYS, PMS, IFTU, AIDYO और अन्य संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक किसान आन्दोलन के सात महीने पूरे होने पर किसान संगठनों के आह्वान पर उप-राज्यपाल आवास पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सेदारी निभाई।
क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस), पीएमएस, आईएफटीयू, एआईडीवाईओ और अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आज दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक किसान आन्दोलन के 7 महीने होने पर किसान संगठनों के आह्वान पर उप-राज्यपाल आवास पर विरोध प्रदर्शन एवं ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम में हिस्सेदारी निभाई। इस कार्यक्रम को एक वृहद कार्यक्रम ‘कृषि बचाओ, देश बचाओ’ के तहत आयोजित किया गया था। मगर, इस कार्यक्रम में शामिल सभी कार्यकर्ताओं को पुलिस द्वारा जबरन हिरासत में लिया गया, और कई कार्यकर्ताओं को उनके घरों पर ही रोक दिया गया। केवाईएस के सदस्य भीम का ने कहा कि "केवाईएस इस तरह के बलप्रयोग द्वारा इन क़ानूनों के खिलाफ जन-आक्रोश को दबाने की कोशिश करने वाली भाजपा सरकार की कड़ी निंदा करता है।"
ज्ञात हो कि पिछले साल यह कानून लोकसभा में भाजपा सरकार द्वारा मनमाने तरीके से पारित किये गए थे। ज्ञात हो कि इन कृषि कानूनों के खिलाफ देश-भर में विरोध के बावजूद इन्हें पारित किया गया था। इन कानूनों द्वारा न सिर्फ छोटे-सीमान्त किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जायेंगे, बल्कि खेतिहर और शहरी मजदूर को भी इनसे नुकसान होगा, क्योंकि इनसे खाद्य उत्पादों के दाम भयंकर रूप से बढ़ेंगे। किसान आन्दोलन ने सरकार के निजीकरण करने और कॉर्पोरेटो को खुली छूट देने के एजेंडे को बड़ा धक्का दिया है, और इस कारण सरकार ने आन्दोलन को बल प्रयोग से दबाने की भरसक कोशिशों की हैं। किसानों के साथ वार्ताएं कर समाधान निकालने की जगह सरकार ने प्रदर्शनकर्ताओं को देशव्यापी स्वास्थ्य संकट के दौरान भी प्रदर्शन जारी रखने को मजबूर किया है, क्योंकि ये उनकी जीविका और भरण पोषण का सवाल है।
आज जब देश की लोक सभा और राज्य सभा से तीन कृषि कानून पारित हो चुके हैं और सरकार इनको रद्द न करने को लेकर पूरी तरह से अड़ियल रवैया अख़्तियार किए हुई है, तब ज़रूरत है कि देश के लोगों की असली सभाएँ, ग्राम सभाएँ इन कानूनों के खिलाफ खड़ी हों। देश-भर की ग्राम सभाएं जो कि सभी लोगों द्वारा प्रत्यक्ष तौर फैसले लेने के लिए अधिकृत हैं, उनको इन काले क़ानूनों को रद्द घोषित करना चाहिए। जब देश की लोक सभा और राज्य सभा में बैठे जनता के प्रतिनिधि पूँजीपतियों के पक्ष में कानूनों को बना रहे हैं, तब देश के लोगों की ग्राम सभाओं को ही इन क़ानूनों पर बहस कर इन्हें रद्द घोषित करना होगा।
भीम आगे कहते है कि "केवाईएस की मांग है कि कृषि उपज को सभी किसानों से अनिवार्य तौर पर सरकार खरीदे और एक सशक्त सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) बनाए। मौजूदा स्वास्थ्य संकट से देश को उबारने के लिए, सरकार सभी बड़े निजी अस्पतालों और वैक्सीन कंपनियों का अधिग्रहण करे और जन स्वास्थ्य के लिए जरूरी सभी वैक्सीन और दवाइयों को खुद बनाए, और जन स्वस्थ्य प्रणाली को मजबूत करे। केवाईएस कृषि कानूनों, नई श्रम संहिताओं, नई शिक्षा नीति और निजीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज़ करने का प्रण लेता है। साथ ही, सरकार पर दबाव बनाने के लिए देश के लोगों की ग्राम सभाओं द्वारा इन काले क़ानूनों को रद्द घोषित किए जाने की केवाईएस मांग करता है। केवाईएस किसान आंदोलन के साथ खड़ा है और देश की व्यापक जनता से अपील करता है कि इस आंदोलन का समर्थन करें जिससे न सिर्फ किसानों को उनकी फसल का सही दाम बल्कि व्यापक मेहनतकश आबादी को सस्ता खाद्यान्न मुहैया हो सके।"
ज्ञात हो कि पिछले साल यह कानून लोकसभा में भाजपा सरकार द्वारा मनमाने तरीके से पारित किये गए थे। ज्ञात हो कि इन कृषि कानूनों के खिलाफ देश-भर में विरोध के बावजूद इन्हें पारित किया गया था। इन कानूनों द्वारा न सिर्फ छोटे-सीमान्त किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जायेंगे, बल्कि खेतिहर और शहरी मजदूर को भी इनसे नुकसान होगा, क्योंकि इनसे खाद्य उत्पादों के दाम भयंकर रूप से बढ़ेंगे। किसान आन्दोलन ने सरकार के निजीकरण करने और कॉर्पोरेटो को खुली छूट देने के एजेंडे को बड़ा धक्का दिया है, और इस कारण सरकार ने आन्दोलन को बल प्रयोग से दबाने की भरसक कोशिशों की हैं। किसानों के साथ वार्ताएं कर समाधान निकालने की जगह सरकार ने प्रदर्शनकर्ताओं को देशव्यापी स्वास्थ्य संकट के दौरान भी प्रदर्शन जारी रखने को मजबूर किया है, क्योंकि ये उनकी जीविका और भरण पोषण का सवाल है।
आज जब देश की लोक सभा और राज्य सभा से तीन कृषि कानून पारित हो चुके हैं और सरकार इनको रद्द न करने को लेकर पूरी तरह से अड़ियल रवैया अख़्तियार किए हुई है, तब ज़रूरत है कि देश के लोगों की असली सभाएँ, ग्राम सभाएँ इन कानूनों के खिलाफ खड़ी हों। देश-भर की ग्राम सभाएं जो कि सभी लोगों द्वारा प्रत्यक्ष तौर फैसले लेने के लिए अधिकृत हैं, उनको इन काले क़ानूनों को रद्द घोषित करना चाहिए। जब देश की लोक सभा और राज्य सभा में बैठे जनता के प्रतिनिधि पूँजीपतियों के पक्ष में कानूनों को बना रहे हैं, तब देश के लोगों की ग्राम सभाओं को ही इन क़ानूनों पर बहस कर इन्हें रद्द घोषित करना होगा।
भीम आगे कहते है कि "केवाईएस की मांग है कि कृषि उपज को सभी किसानों से अनिवार्य तौर पर सरकार खरीदे और एक सशक्त सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) बनाए। मौजूदा स्वास्थ्य संकट से देश को उबारने के लिए, सरकार सभी बड़े निजी अस्पतालों और वैक्सीन कंपनियों का अधिग्रहण करे और जन स्वास्थ्य के लिए जरूरी सभी वैक्सीन और दवाइयों को खुद बनाए, और जन स्वस्थ्य प्रणाली को मजबूत करे। केवाईएस कृषि कानूनों, नई श्रम संहिताओं, नई शिक्षा नीति और निजीकरण के खिलाफ आंदोलन तेज़ करने का प्रण लेता है। साथ ही, सरकार पर दबाव बनाने के लिए देश के लोगों की ग्राम सभाओं द्वारा इन काले क़ानूनों को रद्द घोषित किए जाने की केवाईएस मांग करता है। केवाईएस किसान आंदोलन के साथ खड़ा है और देश की व्यापक जनता से अपील करता है कि इस आंदोलन का समर्थन करें जिससे न सिर्फ किसानों को उनकी फसल का सही दाम बल्कि व्यापक मेहनतकश आबादी को सस्ता खाद्यान्न मुहैया हो सके।"